तू चला जाव दिल्ली कमाय
सोरह सोम्मार कै बरत रह्यन,तब जाइ के तुहुँका पायन हम।
मन ही मन माँ चाह्यन तुहुँका,बप्पौ से नहीं बतायन हम।।
जब बरहे माँ तू टॉप केह्यो,हम सीधा मंदिर का भाग्यन।
आंखी पै आंखी धरे धरे,सगरौ रतिया तब हम जाग्यन।।
उठ भिनसारे भउजी से हम,अपने दिल कै बात कह्यन।
तुहुँसे बियाह करय खातिर,हम बप्पौ का समझाय लेह्यन।।
वहरी तू बी.ए. पास केह्या,औ यहरी तू बापौ बन बैठ्या।
हमहूँ खुशी से पगलान रह्यन,औ तुहूँ रह्या ऐंठ्या- ऐंठ्या ।।
बिधना कै बिधि के जानथै?, किस्मत माँ काव लिखा बाटै।
सबके किस्मत माँ फूल रहन, बस हमरेन माँ कांटै-कांटै।।
अइसा समय कै चक्र बदला,कि सगरौ कुछ अब बिखर गवा।
जेतना गुरुर रहन तुहुंपै,बजउतै चुटकी निकरि गवा।।
बी.ए. कई के दुइ साल बीत,अबहिन तक तू खाली बाट्या।
यकदम निकम्मा परा अहा,जैसेन कि नोट जाली बाट्या।।
घरे-मुहारे-पिछवारे, दर-दुवार, भीतर-फरवार।
एकै सवाल हर जगह बाय,करते का हैं तोहरे भतार।।
नंदियौ तौ ताना मारथै,अम्मौ तोहार हमैं टोंकथीं।
हमका सिंगार बड़ा सोहथै,वै सजै-संवरै से रोकथीं।।
पिंटू कै अम्मा कहत रहीं,मेहरी कै टिकुली देखबो कब तक।
बप्पा के कमाई पै अपने, आपन रोटी सेंकबो कब तक।।
अब हम तुहुँसे यक बात कहब,भलहीं दूरी कै दर्द सहब।
हम जात अही मइके अपने, अब नाहीं तोहरे साथ रहब।।
भलहीं गुलरी कै फूल बनौ,तू फल बनके गंधायौ ना।
तू चला जाओ दिल्ली कमाय,औ लौटि के घर का आयौ ना।
तू चला जाओ दिल्ली कमाय,औ लौटि के घर का आयौ ना।।
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