नोटबन्दी एक तमाशा।


नोटबन्दी कै किहिन तमाशा,जनता का समझावै का।
जंग अउर माल्या वाला,मामलवौ तौ रहा दबावै का।।

आठ तारिक का किहिन घोषना, जनता अब है नहीं सोचना।
नोट जमा अब करौ बैंक माँ, काम करौ अब कैश औ चेक माँ।।
दई दियौ पचास दिनन कै मोहलत,दूर करौ सब आपन गफलत।।।

जौ यक जनवरी का देश माँ रामराज ना आई जाए।
मोदी खुदै चलि के,चौराहे पै आई जाए।
मारि-मारि के जूता हमैं चौराहेन पै गिराए देह्यो,
जौ ना मिटे गरीबी सबकै, फाँसी हमैं चढ़ाए देह्यो।।

अइसेन वादा कइके गए वै जनता का फुसिलावै का,
जंग अउर माल्या वाला,मामलवौ तौ रहा दबावै का।।

पंडित दादा,पिंटू चाचा सबही लागि गए लाइन माँ।
पैसा वाले मौजि करत आहैं,बरफ मिलाय के वाइन माँ।।

पीछे से बदलाइन पइसा, जेकरे रहा करोड़न माँ।
केतनौ मरि गए बिना इलाज के,पैसा फंसि गवा रोड़न माँ।।

विकासदर कै बैंड बाजिगै, आरबीआई भी गरियाइस।
सैकड़ों आदमी भूखै मरिगै, अख़बरवै सब बतलाइन।।

अबहीं तोहोरे हाथे माँ बाय सब,अबहिन हम का कई पाउब।
केतना जादा काबिल बाट्या,अगले चुनाव माँ बतलाउब।।

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