पट्टाभि सीतारामैया-जिनकी हार को गांधी ने अपनी हार कहा।
पट्टाभि सीतारामैया-जिनकी हार को गांधी ने अपनी हार कहा।
सन 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में सुभाषचन्द्र बोस जीते।जो हारे थे उनका नाम था पट्टाभि सीतारामैया।यह हार गाँधी जी के लिए बड़ा झटका थी।महात्मा गाँधी इस हार से इतने विचलित हुए कि उन्होंने इस हार को अपनी हार कहा।ख़ैर,सन 1948 के जयपुर अधिवेशन में भी सीतारमैया कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।फ़िर देश आज़ाद हुआ और आज़ादी के बाद वर्ष 1952 से 1957 तक वे मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे।एक राजनेता के अलावा पट्टाभि सीतारमैया एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी और पत्रकार थे।स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान इन्होंने दक्षिण भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रति जागरूकता फ़ैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पट्टाभि सीतारमैया का जन्म आज ही के दिन 24 नवम्बर सन् 1880 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर तालुका में एक साधारण गरीब परिवार में हुआ था।उनके पिता की आमदनी मात्र आठ रूपये/महीने थी और जब बालक सीतारामैया मात्र चार-पाँच साल के थे, तभी इनके पिता की मृत्यु हो गयी। गरीबी से जूझते परिवार के लिए यह कठिन समय था पर अनेक कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बी.ए. की डिग्री ‘मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज’ से प्राप्त की।मेडिकल की पढ़ाई करके आंध्र के मछलीपट्टम शहर में चिकित्सक के रूप में व्यवसायिक जीवन में लग गए।देश को गुलामी की जंजीर में जकड़ा देखकर वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।आज़ाद भारत में वे मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे और 17 दिसंबर 1959 को उनकी मृत्यु हो गई।
Comments
Post a Comment