उद्देश्य व विधेय

वह (शब्द या वाक्य) जिसके द्वारा किसी के संबंध में कुछ कहा जाय । जैसे,—'गोपाल सज्जन है' इस वाक्य में 'सज्जन है' विधेय है; क्योंकि वह गोपाल के संबंध में कुछ विधान करता है, अर्थात् उसकी कोई विशेषता बताता है ।

व्याकरण में वाक्य के दो मुख्य भाग माने जाते हैं—उद्देश्य और विधेय । जिसके संबंध में कुछ कहा जाता है (अर्थात् कर्ता), वह उद्देश्य कहलाता है; और जो कुछ कहा जाता है, वह 'विधेय' कहलाता है ।


जब किसी पंक्ति में किसी व्यक्ति विशेष या कर्ता के संपर्क में कुछ कहा जाता है तो वह उद्देश्य होता है।

वाक्य में कर्ता जो भी कार्य करता है वह विधेय कहलाता है।

अब यहां जो पंक्ति है--

सुविधा के भाई अनुपम ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।

उद्देश्य-- यहां पर सुविधा का भाई अनुपम उद्देश्य है क्योंकि यहां पर अनुपम के विषय में कुछ कहा जा रहा है।

विधेय-- अनुपम का कार्य यहां विधेय है।

अनुपम ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लिया है इसलिए वाद-विवाद प्रतियोगिता यहां विधेय है।

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