शब्द-विचार-Class-8th
निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं।
शब्द क्रमबद्ध ध्वनियों का ऐसा समूह है जिसका एक निश्चित अर्थ होता है, जिसकी स्वतंत्र सत्ता होती है। शब्दों का प्रयोग हम भाषा में अलग से स्वतंत्र रूप से कर सकते हैं। शब्दों की सहायता से वाक्य बनाए जाते हैं। इस प्रकार शब्द की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:
- निश्चित क्रमबद्धता
- स्वतंत्र प्रयोग
- अर्थवान इकाई
शब्द और पद
जब शब्द का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तब वह “पद” कहलाता है। “पद” के रूप में प्रयुक्त शब्द कोई न कोई व्याकरणिक कार्य करता है, तथा वाक्य के अन्य पदों के साथ संबंध स्थापित करता है। जैसे-
“लड़के ने कुत्ते को मारा” वाक्य में “लड़के”, “कुत्ते”, और “मारा” पद क्रमशः कर्ता, कर्म और क्रिया का कार्य कर रहे हैं तथा “ने” और “को” के सहयोग से परस्पर एक-दूसरे के साथ संबद्ध भी हैं।
शब्दों का वर्गीकरण
हिंदी शब्दों का वर्गीकरण चार आधारों पर किया जाता है-
- अर्थ के आधार पर
- बनावट या रचना के आधार पर
- उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर पर
अर्थ के आधार पर शब्दों के भेद
जिन वर्णो के समूह का निश्चित अर्थ निकलता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। सार्थक शब्दों के दो वर्ग बनाए जा सकते हैं- सार्थक शब्द और निरर्थक शब्द।
सार्थक शब्द
जिन वर्णो के समूह का कोई निश्चित अर्थ निकलता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। सार्थक शब्दों के चार मुख्य भेद किए जा सकते हैं:
एकार्थक
एक अर्थ वाले शब्द, जैसे- घर, पानी, मेज आदि।
अनेकार्थक
एक से अधिक अर्थ वाले शब्द, जैसे- भाग- भाग्य, हिस्सा, भाग देना।
समानार्थक (पर्यायवाची)
समान अर्थ वाले शब्द, जैसे- सूर्य, सूरज, दिनेश, दिवाकर, भानू।
विपरीतार्थक (विलोम)
विपरीत या उल्टे अर्थ वाले शब्द जैसे- सुख-दुख, वीर-कायर, जीत-हार।
निरर्थक शब्द
वे शब्द जो प्रायः जोड़े बनाने के लिए प्रयोग में लाए जाएँ, लेकिन उनका कोई अर्थ नहीं निकलता है उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं। इनका विशेष प्रयोग ही इन्हें सार्थक शब्दों की भाँति भाषा में एक स्थान दिलाता है। जैसे-
निरर्थक शब्द विशेष प्रयोग
पटर-पटर करना बहुत बोलना
खट-खट करना. खटखटाना
बनावट या रचना के आधार पर शब्दों के भेद
इस आधार पर शब्दों के प्रमुख तीन भेद हैं:
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द
रूढ़ अर्थात् प्रसिद्ध। जो शब्द किसी परंपरा या अन्य किसी कारण से किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो जाते हैं, वे रूढ़ शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों के टुकड़े करके अर्थ नहीं किए जा सकते हैं। जैसे-
घर, चल, जो, यहाँ, आ, जा, पल, कल आदि रूढ़ शब्द हैं।
यौगिक शब्द
दो या दो से अधिक शब्दों के योग (मेल) से बनने वाले शब्द यौगिक कहलाते हैं। विद्यालय (विद्या + आलय), पाकशाला (पाक + शाला), किताबघर (किताब + घर) आदि।
योगरूढ़ शब्द
जो शब्द यौगिक होने पर भी किसी विशेष अर्थ में रूढ़ (प्रसिद्ध) हो जाते हैं वे योगरूढ़ शब्द कहे जाते हैं।
शब्द | योग विच्छेद | विशेष अर्थ |
---|---|---|
गजानन | गज + आनन | गणेश |
चतुरानन | चतुर + आनन | ब्रह्मा |
रजनीचर | रजनी + चर | राक्षस |
3. उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर शब्दों के भेद
उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है।
- 1. तत्सम
- 2. तद्भव
- 3. देशज
- 4. विदेशज
तत्सम शब्द
तत् + सम = (तत्सम अर्थात् उसके समान) अपनी मूल भाषा के शब्दों को ज्यों का त्यों ले लेना। हिंदी की मूल भाषा संस्कृत से यथावत् लिए गए हैं, वे तत्सम शब्द हैं। जैसे- सर्प, मुख, मयूर, दुग्ध, कर्ण, मस्तक, दंत आदि तत्सम शब्द हैं।
तद्भव शब्द
(तत् + भव = तद्भव अर्थात् उससे उत्पन्न) तत्सम शब्दों में ही कुछ बदलाव आने पर बने शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे- साँप, मुँह, मोर, दूध, कान, माथा, दाँत आदि तद्भव शब्द हैं।
देशज शब्द
(देश + ज = देशज अर्थात् उससे उत्पन्न) देश का मूल अर्थ होता है स्थान या क्षेत्र। भाषा के क्षेत्र विशेष की बोली, जनजाति आदि से लिए गए शब्द देशज कहलाते हैं। जैसे- पगड़ी, खुरपा, खटिया, झंझट, गाड़ी, घोंचू, उजड्ड आदि देशज शब्द हैं।
विदेशज शब्द
विदेशज शब्द वे हैं जो किसी दूसरे देश की भाषा से आए हैं। हिंदी में आए विदेशज शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं।
अंग्रेजी से | अरबी से | फारसी से |
---|---|---|
फिल्म | कानून | दरवाजा |
इंजन | अखबार | आदमी |
कमीशन | आजाद | जमीन |
स्कूल | जलसा | नमक |
कप | जुर्माना | सब्जी |
प्लेट | रिश्वत | दीवार |
ट्रेन | दफ्तर | आसमान |
पुर्तगाली से | तुर्की से | चीनी से |
---|---|---|
संतरा | गलीचा | पटाखा |
कमरा | कुर्ता | चाय |
गमला | बहादुर | लीची |
ऑलपिन | तोप | |
तौलिया | खच्चर | |
साबुन | कैंची | |
चाबी | कुली |
4. प्रयोग के आधार पर शब्दों के भेद
प्रयोग के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं-
- 1. विकारी शब्द
- 2. अविकारी शब्द
विकारी शब्द
ऐसे शब्द जिनका रूप लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण बदल जाता है (जिनके रूप में विकार या परिवर्तन हो जाता है) विकारी शब्द कहलाते हैं। हिंदी में विकारी शब्दों की संख्या चार है-
- 1. संज्ञा
- 2. सर्वनाम
- 3. विशेषण
- 4. क्रिया।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण
विकारी शब्दों को समझने के लिए इन उदाहरणों पर ध्यान दो
मोटा लड़का आता है। मोटे लड़के आते हैं। (मोटा, मोटे शब्दो में वचन के कारण परिवर्तन),
मोटी लड़की आती है। (मोटा, मोटी शब्दो में लिंग के कारण परिवर्तन)
ऊपर के वाक्यों में “मोटा” विशेषण शब्द तीन प्रकार से आया है- मोटा, मोटे तथा मोटी। अतः मोटा शब्द विकारी शब्द है। इसी प्रकार निम्नलिखित वाक्यों पर भी ध्यान दें-
वह खाना खाता है। उसने खाना खाया। (काल के कारण परिवर्तन)
उन्होंने खाना खाया। (वचन के कारण परिवर्तन) इन वाक्यों में प्रयुक्त “वह” सर्वनाम विकारी शब्द है।
अविकारी शब्द
जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, काल आदि किसी भी कारण से विकार या परिवर्तन नहीं आता, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। अविकारी शब्दों की संख्या भी चार है- क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक। नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़ो-
लड़की तेज चलती है।
लड़का तेज चलता है।
हम तेज चलते हैं।
वे तेज चलते हैं।
वह तेज चला।
इन वाक्यों में प्रयुक्त “तेज” शब्द परिवर्तित नहीं हुआ, इसलिए यह अविकारी शब्द है।
विष्णु | वैश्विक |
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