Letter writing-Class 11
CBSE Class 11 Hindi कार्यालयी पत्र
पत्र लिखना भी एक बहुत बड़ी और अद्भुत कला है। यह कला परिश्रम व अभ्यास द्वारा ही हासिल की जा सकती है। सही ढंग से लिखा गया पत्र न केवल हमारा प्रभुत्व बढ़ाता है, बल्कि हमारे व्यक्तित्व की छाप भी पाठक पर अवश्य छोड़ता है। हम पत्रों के माध्यम से न केवल दूसरों के दिलों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि मैत्री बढ़ा सकते हैं तथा अपने समाज को वश में कर सकते हैं। अतः पत्र लिखना एक ऐसी कला है जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान की परिपक्वता, विचारों की विविधता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है। इसके बिना हमारे पत्र अत्यंत साधारण होंगे। पत्र केवल हमारे कुशल समाचारों के आदान-प्रदान का माध्यम ही नहीं, बल्कि उसके द्वारा आज के वैज्ञानिक युग में संपूर्ण कार्य व्यापार चलता है तथा इसकी आवश्यकता और उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। अत: इसे लिखने और इसके आकार-प्रकार की पूरी जानकारी होनी अतिआवश्यक है।
पत्र-लेखन की विशेषताएँ-
1. सरलता-पत्र की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा स्पष्ट होनी चाहिए। इसमें कठिन शब्द या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जटिल व क्लिष्ट भाषा के प्रयोग से पत्र नीरस व प्रभावहीन बन जाते हैं।
2. स्पष्टता-जो भी हमें पत्र में लिखना है, यदि वह स्पष्ट, समधुर होगा तो पत्र उतना ही प्रभावशाली होगा। सरल भाषा शैली, शब्दों का चयन, वाक्य रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाने में हमारी सहायता करती है। इसलिए भारी भरकम और अप्रचलित शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए तथा छोटे व प्रवाहपूर्ण वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। हमें ऐसे विचार नहीं लिखने चाहिए जो अस्पष्ट हों।
3. संक्षिप्तता-पत्र में अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। पत्र जितना संक्षिप्त व गठा हुआ होगा, उतना ही अधिक प्रभावशाली भी होगा। संक्षिप्तता का अर्थ यह भी नहीं कि पत्र अपने-आप में पूर्ण न हो। जो कुछ भी पाठक द्वारा कहा जाना है, वह व्यर्थ के शब्द-जाल से मुक्त होना चाहिए। अतः जो कुछ भी पत्र में कहा जाए, कम से कम शब्दों में कहना चाहिए।
4. प्रभावोत्पादकता-पत्र की शैली से पाठक प्रभावित हो सके तभी वह सफल मानी जाती है। हमारे विचारों की छाप उस पर पड़नी चाहिए, अत: इसके लिए शैली का परिमार्जित होना भी आवश्यक होता है। अच्छी व शुद्ध भाषा के बिना पत्र अपना असली रूप ग्रहण नहीं करता। वाक्यों का नियोजन, शब्दों का प्रयोग, मुहावरों का प्रयोग-अच्छी भाषा के गुण होते हैं। हमें सदा इसका प्रयोग करके पत्र को प्रभावशाली बनाने का प्रयास करना चाहिए।
5. आकर्षकता व मौलिकता-पत्र का आकर्षक होना भी महत्त्वपूर्ण होता है। विशेषकर व्यापारिक व कार्यालयी पत्र स्वच्छता से टाइप किया हुआ होना चाहिए। मौलिकता भी पत्र का एक महत्त्वपूर्ण गुण है। पत्र लिखते समय प्रचलित घिसे-पिटे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पत्र में हम अपने विषय में कम तथा प्राप्तकर्ता के विषय में अधिक लिख रहे हों।
6. उदेश्यपूर्णता-कोई भी पत्र अपने कथन या मंतव्य में स्वतः संपूर्ण होना चाहिए। उसे पढ़ने के उपरांत तद्विषयक किसी प्रकार की जिज्ञासा, शंका या स्पष्टीकरण की आवश्यकता शेष नहीं रहनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि पत्र लेखक जिस विचार से पत्र लिखना आरंभ करता है, वह अप्रकट या अपूर्ण रह जाता है, लेकिन फिजूल बातों से ही पत्र भर जाता है। इसलिए पत्र लिखते समय इस बात का विशिष्ट ध्यान रखा जाना चाहिए कि कथ्य अपने-आप में पूर्ण तथा उद्देश्य की पूर्ति करने वाला हो।
7. शिष्टता-किसी पत्र में उसके लेखक के व्यक्तित्व, स्वभाव, पद-प्रतिष्ठा-बोध और व्यावहारिक आचरण की झलक मिलती है। सरकारी, व्यावसायिक तथा अन्य औपचारिक पत्र की भाषा-शैली शिष्टतापूर्ण होनी चाहिए। अस्वीकृति, शिकायत, खीझ या नाराजगी भी शिष्ट भाषा में प्रकट की जाए तो उसका अधिक लाभकारी प्रभाव पड़ता है। उदाहरणतः किसी आवेदनकर्ता के आवेदन की अस्वीकृति इन शब्दों में भेजी जा सकती है-
‘खेद है कि हम आपकी सेवाओं का उपयोग नहीं कर सकेंगे।’
8. चिह्नांकन-पत्र में प्रयुक्त चिह्न पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए। चिह्नांकन अनुच्छेद (पैराग्राफ) का प्रयोग समुचित किया जाना चाहिए। हर नए विचार, नई बात के लिए पैराग्राफ, अल्पविराम, अर्ध विराम, पूर्णविराम, कोष्ठक आदि का प्रयोग उचित स्थल पर ही होना चाहिए। इससे पत्र-कला में निखार आता है।
पत्र के अंग
पत्र अनेक प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति और क्षेत्र के अनुसार अनेक प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी भिन्न-भिन्न होता है। यहाँ हम व्यावसायिक (औपचारिक) तथा निजी (अनौपचारिक) पत्रों के लिखने के लिए आवश्यक तथ्यों-संकेतों पर प्रकाश डालेंगे-
(क) प्रेषक का नाम व पता-व्यावसायिक पत्रों में सबसे ऊपर लिखने वाले का नाम व पता दिया होता है ताकि पाने वाला पत्र देखते ही समझ जाए कि पत्र किसने भेजा है और कहाँ से आया है? प्रेषक का नाम व पता ऊपर की ओर दाएँ कोने में दिया जाता है। पते के नीचे टेलीफ़ोन नंबर तथा उसके नीचे दिनांक के लिए स्थान निर्धारित रहता है। सरकारी पत्रों में उसके ठीक सामने बाईं ओर पत्र का संदर्भ व पत्र-संख्या लिखी जाती है।
(ख) पाने वाले का नाम व पता-प्रेषक के बाद पृष्ठ की बाईं ओर पत्र पाने वाले का नाम व पता लिखा जाता है। नाम की जगह कभी-कभी केवल पदनाम भी लिखते हैं। कभी-कभी नाम व पदनाम दोनों भी लिखा जाता है अर्थात् पाने वाले का पूरा विवरण इस प्रकार होना चाहिए- नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, स्थान, जिला, शहर और पिन-कोड।
(ग) विषय-संकेत-औपचारिक पत्रों में यह आवश्यक होता है कि जिस विषय में पत्र लिखा जा रहा है, उस विषय को अत्यंत संक्षेप में पाने वाले के नाम और पते के पश्चात् बाएँ ओर से ‘विषय’ शीर्षक देकर लिखना चाहिए। इससे पत्र देखते ही पता चल जाता है कि मूल रूप में पत्र का विषय क्या है।
(घ) संबोधन-विषय के बाद पत्र के बाईं ओर संबोधन सूचक शब्द का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत पत्र में प्रिय लिखकर प्राप्तकर्ता का नाम या उपनाम दिया जाता है; जैसे—’प्रिय रमेश’, ‘प्रिय राधा’ आदि। अपने से बड़ों के लिए प्रिय के स्थान पर पूज्य, मान्यवर, श्रद्धेय आदि शब्दों का प्रयोग होता है। सरकारी पत्रों में यह कार्य ‘प्रिय महोदय’ या प्रिय महोदया के द्वारा संपन्न कर लिया जाता है।
(ङ) पत्र की मुख्य सामग्री-संबोधन के पश्चात् पत्र की मूल सामग्री लिखी जाती है। आवश्यकता, समय तथा परिस्थिति के अनुसार विषय में परिवर्तन होता रहता है।
(च) समापन-सूचक शब्द-पत्र की सामग्री समाप्त होने पर प्रेषक प्राप्तकर्ता से अपने संबंध और विषय की औपचारिकता अनौपचारिकता के अनुसार कुछ समापन सूचक शब्दों का प्रयोग कर पत्र समाप्त करता है। बड़ों के लिए ‘आपका आज्ञाकारी’, ‘आपका प्रिय’, बराबर वालों के लिए ‘स्नेहशील’, दर्शनाभिलाषी’, ‘स्नेही’ और छोटों के लिए ‘शुभचिंतक’, ‘शुभाकांक्षी’ जैसे शब्द प्रयोग किये जाते हैं। औपचारिक व्यावसायिक पत्रों में साधारणतः ‘भवदीय’ लिखा जाता है। उपर्युक्त सभी समापन शब्द मूल सामग्री के तुरंत बाद नई पंक्ति में दाएँ कोने में लिखा जाना चाहिए।
(छ) हस्ताक्षर और नाम-समापन शब्द के ठीक नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के ठीक नीचे कोष्ठक में भेजने वाले का पूरा नाम व पता भी अवश्य दिया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि हस्ताक्षर प्रायः सुपाठ्य नहीं होते, अतः प्रेषक का नाम भी लिखा होना चाहिए।
(ज) संलग्नक-सरकारी-पत्रों में प्रायः मूलपत्र के साथ अन्य आवश्यक कागजात भी भेजे जाते हैं। इन्हें उस पत्र के ‘संलग्न पत्र’ या ‘संलग्नक’ कहते हैं। इस स्थिति में समापन सूचक शब्द ‘भवदीय’ आदि के ठीक बाएँ और थोड़ा नीचे ‘संलग्नक’ शीर्षक देकर उसके आगे संख्या 1, 2, 3, के द्वारा संकेत दिया जाता है।
(झ) पुनश्च-कभी-कभी पत्र लिखते समय मूल सामग्री में से किसी महत्त्वपूर्ण अंश के छूट जाने पर इसका प्रयोग होता है। ‘समापनसूचक शब्द’, ‘हस्ताक्षर’, ‘संलग्नक’ आदि सब कुछ लिखने के पश्चात् कागज पर अंत में सबसे नीचे या उसके पृष्ठ भाग पर ‘पुनश्च’ शीर्षक देकर छूटी हुई सामग्री लिखकर एक बार पुनः हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं।
औपचारिक व अनौपचारिक पत्र आरंभ तथा समाप्त करने की तालिका
CBSE Class 11 Hindi कार्यालयी पत्र 1
पत्रों के प्रकार
विभिन्न प्रकार के पत्रों का विभाजन मूलत: दो वर्गों में किया जा सकता है
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
1. औपचारिक पत्र-विशिष्ट नियम-विधानों में आबद्ध पत्र ‘औपचारिक पत्र’ कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की परिधि बहुत व्यापक है। इसके अनेकानेक रूप अथवा प्रकार संभव हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं
सरकारी पत्र
व्यावसायिक पत्र
संपादक के नाम पत्र
शोक पत्र
अर्धसरकारी पत्र
आवेदन पत्र
शिकायती पत्र
निमंत्रण पत्र
विज्ञापन पत्र
अनुस्मारक पत्र
बधाई पत्र
शुभकामना पत्र।
इन सभी प्रकार के पत्रों के उत्तर में लिखे जाने वाले पत्र भी अपना अलग अस्तित्व और महत्त्व रखते हैं। इस प्रकार औपचारिक पत्रों के अनेक भेद संभव हैं।
2. अनौपचारिक पत्र-जो पत्र निजी, व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक होते हैं, वे ‘अनौपचारिक-पत्र’ कहलाते हैं। ऐसे पत्रों में किसी प्रकार की विशेष विधि अथवा नियम-पद्धति के पालन की आवश्यकता नहीं होती। इस पत्र में किसी तरह की औपचारिकता के निर्वाह का बंधन नहीं होता। इन पत्रों में प्रेषक अपनी बात व भावना को उन्मुक्तता के साथ, बिना संकोच के लिख सकता है। इन पत्रों का प्राण तत्व आत्माभिव्यक्ति, निजीपन और आत्मीयता है। ये आकार-प्रकार में अत्यंत लचीले होते हैं, अर्थात् संक्षिप्त भी हो सकते हैं तो अत्यंत विस्तृत भी। उपर्युक्त समस्त आवश्यक बातों को व्यावहारिक रूप में समझने के लिए निम्नलिखित प्रारूप प्रस्तुत किये जा रहे हैं-
(ख) अनौपचारिक-पत्र का नमूना
उदाहरण
औपचारिक पत्र
प्रश्नः 1.
अपने मोहल्ले में वर्षा के कारण उत्पन्न हुई जल-भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
स्वास्थ्य अधिकारी
नगरपालिका
दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि हम सब शक्ति नगर क्षेत्र के निवासी हैं। गत दिनों भयंकर वर्षा के कारण इस क्षेत्र में जगह-जगह पानी भर गया है। नालियों और सीवर के बंद होने के कारण सड़कों की बिगड़ी हुई दशा के कारण जल पाइप कहीं-कहीं कट-फट गए हैं। परिणामस्वरूप जल की बाढ़ आ गयी है। आपके विभाग के संबंधित कर्मचारी बिलकुल ही इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में चारों ओर जल ही जल दिखाई दे रहा है। इससे न केवल आवागमन की बहुत बड़ी असुविधा उत्पन्न हो गई है अपितु विभिन्न प्रकार की बीमारियों के भी फैल जाने की आशंका बढ़ गई है। अतएव आपसे सादर अनुरोध है कि आप इस दिशा में यथाशीघ्र उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करें। इसके लिए हम सदैव अभारी रहेंगे।
भवदीय
शक्तिनगर क्षेत्र के निवासी
दिनांक : 6 मार्च 20XX
प्रश्नः 2.
अपने क्षेत्र में पेड़-पौधों के अनियंत्रित कटाव को रोकने के लिए अपने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
जिलाधिकारी महोदय
बदरपुर (बाहरी दिल्ली)
नई दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि हम दक्षिणी दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र के निवासी हैं। हमारे इस क्षेत्र में कुछ महीनों से पेड़-पौधों की बेरोक-टोक कटाई हो रही है। इस अंधाधुंध वन-कटाव से हम लोगों का यह क्षेत्र पेड़-पौधों से लगभग रहित-सा हो गया है। चारों ओर एक वीरान दृश्य उपस्थित हो गया है। इससे इस क्षेत्र के पर्यावरण पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ने लगा है। हवा जो पेड़ों-पौधों से सुलभ होती है, लगभग दुर्लभ हो रही है। फलतः वायु-प्रदूषण तीव्र गति से बढ़ने लगा है। इससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य से संबंधित खतरनाक बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है। अतः अगर निकट भविष्य में इस प्रकार से बेरोक-टोक पेड़-पौधों के कटाव को न रोका गया तो लोगों का जीना दुर्लभ हो जाएगा। आशा है कि आप इस दिशा में उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करेंगे। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
बदरपुर क्षेत्र के निवासी,
(बाहरी दिल्ली)
दिनांक : 18 अप्रैल, 20XX
प्रश्नः 3.
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को मोहल्ले की सफाई के विषय में पत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रति
स्वास्थ्य अधिकारी
पश्चिमी क्षेत्र, नगर निगम
दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि हम हरिनगर के निवासी अपने क्षेत्र की सफाई की समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं। इस मोहल्ले में सफ़ाई का समुचित प्रबंध नहीं है। इसके प्रायः सभी ब्लॉकों में यत्र-तत्र कूड़े के ढेर बिखरे दिखाई देते हैं, जिनसे प्राय: दुर्गंध आती रहती है। नालियों में गंदगी भरी रहती है। इस कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इस काम के लिए नियुक्त किये गये जमादारों में अधिकांश अपना काम ठीक प्रकार से नहीं करते। यदि उनसे कुछ कहा जाये, तो वे दुर्व्यवहार करने लगते हैं तथा अगले दिन से काम में और भी ढील दे देते हैं।
महोदय! आजकल गरमी के दिन हैं। नगर के कई भागों में मलेरिया का प्रकोप फैल रहा है। ऐसी अवस्था में स्थान-स्थान पर कूड़े के ढेरों का पड़े रहना, मच्छरों और मलेरिया को निमंत्रण देना ही है। कृपया आप संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दें जिससे वे हमारे क्षेत्र की सफ़ाई की समस्या को सुलझाकर इस क्षेत्र के निवासियों को मलेरिया के प्रकोप से बचा लें।
धन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
हरिनगर सुधार समिति, नई दिल्ली।
आवेदन पत्र
आज रोजमर्रा के जीवन में प्राय: आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है। अवकाश हेतु, किसी विभाग में नियुक्ति हेतु, आवास प्राप्ति हेतु, स्थानांतरण या पदोन्नति हेतु किसी भी विषय में निवेदन करने आदि से संबंधित पत्र आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र कहे जाते हैं।
आवेदन पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है-
प्रारंभ – सर्वप्रथम बाईं ओर ‘सेवा में’ या ‘प्रति’ लिखकर ठीक उसके नीचे प्रेषिती का नाम, पदनाम व पूरा पता लिखा जाता है।
विषय – यहाँ संक्षेप अर्थात् केवल एक पंक्ति में पत्र के विषय को प्रेषित किया जाना चाहिए।
संबोधन – महोदय/महोदया संबोधन सूचक शब्द ठीक सेवा में की पंक्ति में लिखा जाना चाहिए।
शिष्टाचार दयोतक शब्द – अल्पविराम के ठीक नीचे मुख्य विषय के प्रारंभ में ‘प्रार्थना है, सविनय निवेदन है, विनम्र निवेदन है’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
मुख्य विषय – यहाँ मुख्य विषय को सरल, स्पष्ट और संयत भाषा में संक्षिप्त रूप में लिखना चाहिए।
पत्र का समापन – पत्र की समाप्ति पर सधन्यवाद, सम्मान सहित आदि शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
समापन सूचक शब्द – पत्र की समाप्ति पर बाईं ओर भवदीय/भवदीया, प्रार्थी/प्रार्थिनी आदि समापनसूचक शब्दों का प्रयोग कर अल्पविराम लगाना चाहिए।
नाम और पता – समापनसूचक शब्द के नीचे आवेदनकर्ता को अपने स्पष्ट हस्ताक्षर करने चाहिए और हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में पूरा नाम लिखकर, पदनाम और स्थाई पता भी लिखना चाहिए।
तिथि – प्रेषक के पते के बाईं ओर आवेदन करने की तिथि उल्लिखित करनी चाहिए।
संलग्न – यदि आवेदन पत्र के साथ कोई प्रमाण पत्र या पत्रज्ञात की प्रति संलग्न की गई हो, तो अंत में संलग्नक लिखकर संख्यावार 1, 2, 3 लिखकर उनका उल्लेख कर देना चाहिए।
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