ततारां वामीरो कथा

लेखक परिचय

लेखक - लीलाधर मंडलोई
जन्म - 1954 (छिंदवाड़ा -गुढ़ी)


पाठ का सारांश

जो सभ्यता जितनी अधिक पुरानी होगी उतनी ही अधिक किस्से -कहानियाँ उससे जुड़ी होती है जो हमें सुनने को मिलती हैं। जो किस्से - कहानियाँ हमें सुनने को मिलती हैं जरुरी नहीं कि वो उसी तरह घटित हुई हो जिस तरह वो हमें सुनाई जा रही हों।इतना जरूर होता है कि इन किस्सों और कहानियों में कोई न कोई सीख छुपी होती है। अंदमान निकोबार द्वीपसमूह में भी बहुत तरह के किस्से - कहानियाँ मशहूर हैं। इनमें से कुछ को लीलाधर मंडलोई ने लिखा है।

प्रस्तुत पाठ 'तताँरा वामीरो कथा' अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप पर केंद्रित है। उस द्वीप पर एक -दूसरे से शत्रुता का भाव अपनी अंतिम सीमा पर पहुँच चूका था। इस शत्रुता की भावना को जड़ से उखाड़ने के लिए एक जोड़े को आत्मबलिदान देना पड़ा था। उसी जोड़े के बलिदान का वर्णन लेखक ने प्रस्तुत पाठ में किया है।प्यार सबको एक साथ लाता है और नफरत सब के बीच दूरियों को बढ़ाती है,इस बात से भला कौन इनकार कर सकता है। इसलिए जो कोई भी समाज के लिए अपने प्यार का ,अपने जीवन का बलिदान करता है ,समाज न केवल उसे याद रखता है बल्कि उसके द्वारा किये गए त्याग और बलिदान को बेकार नहीं जाने देता। यही वह कारण है जिसकी वजह से तत्कालीन समाज के सामने मिसाल कायम करने वाले इस जोड़े को आज भी इस द्वीप के निवासी गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं।

तताँरा हमेशा अपनी पारम्परिक पोशाक ही पहनता था और हमेशा अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार को बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में लकड़ी की होने के बावजूद भी अनोखी दैवीय शक्तियाँ हैं। तताँरा कभी भी अपनी तलवार को अपने से अलग नहीं करता था। वह दूसरों के सामने तलवार का प्रयोग भी नहीं करता था।  तताँरा की तलवार जिज्ञासा पैदा करने वाला एक ऐसा राज था जिसको कोई नहीं जानता था।

एक शाम को तताँरा दिन भर की कठोर मेहनत करने के बाद समुद्र के किनारे घूमने के लिए चल पड़ा।समुद्र से ठंडी ठंडी हवाएँ आ रही थी। शाम के समय पक्षियों की जो चहचहाहटें होती हैं वे भी धीरे -धीरे शांत हो रही थी। अपने ही विचारों में खोया हुआ तताँरा समुद्री बालू पर बैठ कर सूरज की आखरी किरणों को समुद्र के पानी पर देख रहा था जो बहुत रंग -बिरंगी लग रही थी। तभी कहीं से उसे मधुर संगीत सुनाई दिया जो उसी के आस पास कोई गा रहा था।तताँरा बैचेन मन से उस दिशा की ओर बढ़ता गया। आखिरकार तताँरा की नज़र एक युवती पर पड़ी उस युवती को यह पता नहीं था कि कोई युवक उसे बिना कुछ बोले बस देखता जा रहा है। उसी समय अचानक एक ऊँची लहर उठी और उसको भिगो कर चली गई। इस तरह अचानक भीगने से वह युवती हड़बड़ा गई और अपना गाना भूल गई। तताँरा ने बहुत ही विनम्र तरीके से उस युवती से पूछा 'तुमने अचानक इतना सुरीला और अच्छा गाना अधूरा ही क्यों छोड़ दिया ?'

अपने सामने एक सुंदर युवक को देख कर वह युवती आश्चर्यचकित हो गई।उसने नकली नाराजगी दिखाते हुए उत्तर दिया।

"पहले ये बताओ कि तुम कौन हो,मुझे इस तरह क्यों देख रहे हो और इस तरह के अनुचित या बेकार के प्रश्न पूछने का क्या कारण है ?”

तताँरा बार- बार अपना प्रश्न दोहराता रहा। तताँरा के बार - बार एक ही प्रश्न को दोहराने के कारण युवती चिढ़ गई। युवती ने कहा -आखिर मैं गीत क्यों गाऊं अर्थात मैं तुम्हारी बात क्यों मानूं ?क्या उसे गाँव का नियम नहीं मालूम कि एक गाँव का व्यक्ति दूसरे गाँव के व्यक्ति से बात नहीं कर सकता ? इतना कह कर वह युवती जाने के लिए तेज़ी से मुड़ी। उसके मुड़ते ही मानो तताँरा को कुछ होश आया। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था। तताँरा उस युवती के सामने चला गया और उसका रास्ता रोक कर लाचारी के साथ प्रार्थना करने लगा कि तुम बस अपना नाम बता दो मैं तुम्हें जाने दूंगा। तताँरा द्वारा नाम पूछे जाने पर युवती ने जवाब दिया " वामीरो " यह नाम सुनना तताँरा को ऐसा लगा जैसे उसके कानों में किसी ने रस घोल दिया हो। तताँरा ने वामीरो से कहा कि कल वह वही चट्टान पर उसकी प्रतीक्षा करेगा । वह वामीरो को जरूर आने के लिए कहता है।

वामीरो ने तताँरा के बारे में बहुत सी कहानियाँ सुनी थी। उसकी सोच में तताँरा एक बहुत ही शक्तिशाली युवक था। परन्तु वही तताँरा जब वामीरो के सामने आया तो बिलकुल अलग ही रूप में था। वह सुंदर और शक्तिशाली तो था ही साथ ही साथ वह बहुत शांत ,समझदार और सीधा साधा था। वह बिलकुल वैसा ही था जैसा वामीरो अपने जीवन साथी के बारे में सोचती थी। परन्तु दूसरे गाँव के युवक के साथ उसका सम्बन्ध रीति रिवाजों के विरुद्ध था। इसलिए वामीरो ने तताँरा को भूल जाना ही समझदारी समझा। परन्तु यह आसान नहीं लग रहा था क्योकि तताँरा बार -बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था जैसे वह बिना पलकों को झपकाए उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो।

तताँरा दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। उसके अंदर एक शक भी पैदा हो गया था कि अगर वामीरो आई ही नहीं तो।उसके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। वामीरो तताँरा से मिलने आए गई।

तताँरा और वामीरो अब हर रोज उसी जगह मिलने लगे। लपाती के कुछ युवकों को इस प्रेम के बारे में पता चल गया और ये खबर हवा की तरह हर जगह फैल गई। वामीरो लपाती गाँव की रहने वाली थी और तताँरा पासा गाँव का। दोनों का सम्बन्ध किसी भी तरह संभव नहीं था। क्योंकि रीतिरिवाज़ के अनुसार दोनों के सम्बन्ध के लिए दोनों का एक ही गाँव का होना जरुरी था।  

कुछ समय के बाद पासा गाँव में 'पशु पर्व 'का आयोजन किया गया। पशु पर्व में हटे -कटे पशुओं के दिखावे के अलावा पशुओं से युवकों की शक्ति परखने की प्रतियोगितायें भी होती थी। तताँरा का मन इन में से किसी भी कार्यक्रम में नहीं लग रहा था। उसकी परेशान आँखे तो वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थी।जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो उसकी आँखें नमी से भरी थी और उसके होंठ डर कर काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वामीरो फुट -फुटकर रोने लगी। तताँरा इस तरह वामीरो को रोता देखकर भावुक हो गया। वामीरो के रोने की आवाज सुनकर वामीरो की माँ वहाँ आ गई और दोनों को एक साथ देख कर गुस्सा हो गई। उसने तताँरा को कई तरह से अपमानित करना शुरू कर दिया। गाँव वाले भी तताँरा के विरोध में बोलने लगे।  लोगो की बातों को सुनना अब तताँरा के लिए सहन कर पाना मुश्किल हो रहा था।अचानक उसका हाथ उसकी तलवार पर आकर टिक गया। गुस्से से उसने तलवार निकली।  उसने अपने गुस्से को शांत करने के लिए अपनी पूरी शक्ति से तलवार को धरती में गाड़ दिया और अपनी पूरी ताकत से उसे खींचने लगा ।जो लकीर तताँरा ने खींची थी उस लकीर की सीध में धरती फटती जा रही थी।तताँरा द्वीप के एक ओर था और वामीरो दूसरी ओर। तताँरा को जैसे ही होश आया ,उसने देखा कि द्वीप के जिस ओर वह है वो टुकड़ा समुद्र में धँसने लगा है। अब वह तड़पने लगा, वह छलांग लगा कर दूसरी ओर जाना चाहता था परन्तु उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और वह निचे की ओर फिसलने लगा।वह उस कटे हुए द्वीप के उस आखरी भू -भाग पर बेहोश पड़ा हुआ था जो संयोगवश उस द्वीप से जुड़ा हुआ था। बहता हुआ तताँरा कहा गया ,उसके बाद उसका क्या हुआ ये कोई नहीं जान सका। इधर वामीरो तताँरा से अलग होने के कारण पागल हो गई। वह हर समय बस तताँरा को ही खोजती रहती और उसी जगह आकर घंटों बैठी रहती जहाँ वो तताँरा से मिलने आया करती थी। उसने खाना -पीना छोड़ दिया था। परिवार से वह कही अलग हो गई। लोगो ने उसे ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की परन्तु अब वामीरो का भी कोई सुराग नहीं मिला कि वह कहा गई।

आज ना तो तताँरा है और ना ही वामीरो है,परन्तु फिर भी आज उनकी प्रेमकथा हर घर में सुनाई जाती है। निकोबार के निवासियों का मानना है कि तताँरा की तलवार से कार -निकोबार के जो दो टुकड़े हुए, उसमे से दूसरा टुकड़ा आज लिटिल अंदमान के नाम से प्रसिद्ध है जो कार -निकोबार से 96 कि.मी. दूर स्थित है।निकोबार निवासीयों ने इस घटना के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा - वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।



(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (20 - 30 शब्दों में )लिखिए –
प्रश्न 1 - तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था ?

उत्तर - तताँरा हमेशा अपनी पारम्परिक पोशाक ही पहनता था और हमेशा अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार को बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में लकड़ी की होने के बावजूद भी अनोखी दैवीय शक्तियाँ हैं।वह दूसरों के सामने तलवार का प्रयोग भी नहीं करता था। परन्तु उसके सहस से पूर्ण कार्यों के कारण लोगों का तलवार में अनोखी शक्ति होने पर विश्वास था।

 

प्रश्न 2 - वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया ?

उत्तर - तताँरा ने जब विनम्र तरीके से वामीरो से पूछा कि उसने अचानक इतना सुरीला और अच्छा गाना अधूरा ही क्यों छोड़ दिया ?' तो अपने सामने एक सुंदर युवक को देख कर वामीरो आश्चर्यचकित हो गई और हड़बड़ा गई । परन्तु अपने आपको सम्भालते हुए वामीरो ने  नकली नाराजगी दिखाते हुए बेरुखी से उत्तर दिया कि  पहले ताँतारा यह बताए कि वह कौन है, वह वामीरों को इस तरह क्यों देख रहा है और वह वामीरों से इस तरह के अनुचित या बेकार के प्रश्न क्यों पूछ रहा है?"

 

प्रश्न 3 - तताँरा - वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया ?

उत्तर - निकोबार निवासीयों ने तताँरा - वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा - वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।

 

प्रश्न 4 - निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे ?

उत्तर - तताँरा एक भला और सबकी मदद करने वाला व्यक्ति था। वह हमेशा ही दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था। जब भी कोई मुसीबत में होता तो हर कोई उसी को याद करता था और वह भी भागा -भागा वहाँ उनकी मदद करने के लिए पहुँच जाता था।उसका व्यक्तित्व तो आकर्षक था ही उसके साथ ही साथ लोगों का उसके करीब रहने का एक सबसे बड़ा कारण था उसका सबको अपना मानने का स्वभाव।


(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में ) दीजिए -
प्रश्न 1 - निकोबार द्वीप समूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास था ?

उत्तर - निकोबारियों का विश्वास था कि पहले अंदमान और निकोबार एक ही द्वीप थे। इनके अलग -अलग होने के पीछे तताँरा -वामीरो की एक लोककथा प्रचलित है। दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे। परन्तु दोनों अलग -अलग गाँव से थे और उस समय के रीतिरिवाज़ों के अनुसार अलग -अलग गाँव के निवासियों में विवाह सम्बन्ध संभव नहीं था। जब लोगो को तताँरा और वामीरो के प्रेम का पता चला तो वे तताँरा को बुरा कहने व्लगे जिस कारण तताँरा को अत्यधिक क्रोध आ गया उसने अपनी तलवार पूरी शक्ति से धरती में गाड़ दी और दूर तक खींचता हुआ चला गया। इससे धरती के दो टुकड़े हो गए और अंदमान -निकोबार नाम से दो द्वीप बन गए।

 

प्रश्न 2 - तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया ?वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये।

उत्तर - तताँरा दिन भर की कठोर मेहनत करने के बाद समुद्र के किनारे घूमने के लिए चल पड़ा। समुद्र में जहाँ धरती और आसमान के मिलने का आभास हो रहा था, वहाँ सूरज डूबने वाला था। समुद्र से ठंडी ठंडी हवाएँ आ रही थी। शाम के समय पक्षियों की जो चहचहाहटें होती हैं वे भी धीरे -धीरे शांत हो रही थी। तताँरा का मन भी शांत था। अपने ही विचारों में खोया हुआ तताँरा समुद्री बालू पर बैठ कर सूरज की आखरी किरणों को समुद्र के पानी पर देख रहा था जो बहुत रंग -बिरंगी लग रही थी। बीच -बीच में लहरों का संगीत सुनाई पड़ रहा था। पूरा वातावरण बहुत ही सुन्दर और मोहक लग रहा था।

 

प्रश्न 3 - वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर - वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया था। उसके गहरे और शांत जीवन में ऐसा पहली बार हुआ था जब वह बैचेनी से किसी का इंतज़ार करता था। वह आश्चर्यचकित तो था परन्तु साथ ही साथ उत्सुक भी था। वह दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच जाता था जहाँ वह वामीरो से मिला करता था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। तताँरा बार - बार लपाती गाँव के रास्तों पर वामीरो के इंतजार में नजरे गाड़ कर खड़ा रहता था।

 

प्रश्न 4 - प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किये जाते थे ?

उत्तर - प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए 'पशु पर्व 'का आयोजन किया जाता था। पशु पर्व में हटे -कटे पशुओं के दिखावे के अलावा पशुओं से युवकों की शक्ति परखने की प्रतियोगितायें भी होती थी। साल में एक बार मेला लगता था और सभी गाँव के लोग इसमें भाग लेने आते थे। प्रतियोगिता के बाद नाच -गाना और फिर भोजन का प्रबंध भी किया जाता था।

 

प्रश्न 5 - रूढ़ियाँ जब बंधन लगने लगे तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों ?स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - रूढ़ियाँ और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बने होते हैं ,परन्तु जब इन्ही के कारण मनुष्यों की भावनाओं को ठेस पहुँचने लगे और ये सब बोझ लगने लगे तो उनका टूट जाना ही अच्छा होता है। तताँरा - वामीरो की कहानी में हमनें जाना कि रूढ़ियों के कारण इनका प्रेम -विवाह नहीं हो सकता था ,जिसके कारण दोनों को जान गवानी पड़ी। जहाँ रूढ़ियाँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करे और जहाँ रूढ़ियाँ आडंबर लगने लगे वहाँ इनका टूट जाना ही बेहतर होता है।

 

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -
(क) जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसने शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।

उत्तर - तताँरा -वामीरो को पता था कि रीतिरिवाज़ों के कारण उनका विवाह संभव नहीं है फिर भी वे मिलते रहे। जब गाँव वालो को पता चला तो वे तताँरा को बुरा कहने लगे। क्रोध में आकर तताँरा ने अपनी तलवार को धरती ने पूरी शक्ति से गाड़ दिया और अपनी और खींचता हुआ द्वीप के आखरी कोने तक पहुँच गया जिसके कारण द्वीप के दो टुकड़े हो गए।

 

(ख) बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।

उत्तर - तताँरा दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। उसके अंदर एक शक भी पैदा हो गया था कि अगर वामीरो आई ही नहीं तो। उसके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। उसे सिर्फ उम्मीद की एक किरण नजर आ रही थी और वो भी समय बीतने के साथ -साथ समुद्र के शरीर पर जैसे किरणे डूब रही थी उसी प्रकार कभी भी डूब सकती थी।



 

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