पाठ – 8 कारतूस (एकांकी) हबीब तनवीर
अंग्रेज इस देश में व्यापारी का भेष धारण कर के आये थे। किसी को कोई शक न हो इसलिए वे शुरू-शुरू में व्यापार ही कर रहे थे, परन्तु उनका इरादा केवल व्यापार करने का नहीं था। व्यापार के लिए उन्होंने जिस ईस्ट-इंडिया कंपनी की स्थापना की थी, उस कंपनी ने धीरे-धीरे देश की रियासतों पर अपना अधिकार स्थापित करना शुरू कर दिया। उनके इरादों का जैसे ही देशवासियों को अंदाजा हुआ उन्होंने देश से अंग्रेजों को बाहर निकालने के प्रयास शुरू कर दिए।
प्रस्तुत पाठ में भी एक ऐसे ही अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है। जिसका केवल एक ही लक्ष्य था -अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। कंपनी के हुक्म चलाने वालों की उसने नींद हराम कर राखी थी। वह इतना निडर था कि मुसीबत को खुद बुलावा देते हुए न सिर्फ कंपनी के अफसरों के बीच पहुँचा बल्कि उनके कर्नल पर ऐसा रौब दिखाया कि कर्नल के मुँह से भी उसकी तारीफ़ में ऐसे शब्द निकले जैसे किसी दुश्मन के लिए नहीं निकल सकते।
Kartoos Class 10 Hindi Chapter Summary - पाठ सार
प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है, जिसका केवल एक ही लक्ष्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने चार व्यक्तियों का वर्णन किया है, वे हैं - कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और सवार।
कर्नल और लेफ्टिनेंट आपस में वज़ीर अली के कारनामों की बात करते हुए कहते है कि वज़ीर अली ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा है और उसको देख कर उन्हें रॉबिनहुड की याद आ जाती है। फिर कर्नल लेफ्टिनेंट को सआदत अली यानि वज़ीर अली के चाचा के बारे में बताता है की किस तरह वो वज़ीर अली के पैदा होने से दुखी था और अंग्रेजो का मित्र बन गया था। अवध के सिंहासन पर बने रहने के लिए उसने अंग्रेजो को अपनी आधी दौलत और दस लाख रूपए दिए थे।
लेफ्टिनेंट को जब पता चलता है की हिंदुस्तान के बहुत से राजा, बादशाह और नवाब अफगानिस्तान के नवाब को दिल्ली पर हमला करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तो लेफ्टिनेंट की बातों में हामी भरते हुए कर्नल कहता है, कि अगर ऐसा हुआ तो कंपनी ने जो कुछ हिन्दुस्तान में हासिल किया है वह सब कुछ गवाना पड़ेगा।
कर्नल की बातों को सुन कर लेफ्टिनेंट कर्नल से कहता है कि वज़ीर अली की आजादी अंग्रेजों के लिए खतरा है। इसलिए अंग्रेजों को किसी भी तरह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना ही चाहिए। कर्नल कहता है कि तभी तो वह अपनी पूरी फ़ौज को ले कर उसका पीछा कर रहा है और वज़ीर अली उनको सालों से धोखा दे रहा है। वज़ीर अली बहुत ही बहादुर आदमी है। वज़ीर अली ने कंपनी के एक वकील की हत्या भी की है। कर्नल ने हत्या की घटना का वर्णन करते हुए कहा कि वजीर अली को उसके पद से हटाने के बाद अंग्रेजों ने वजीर अली को बनारस भेज दिया था, कुछ महीनो के बाद गवर्नर जनरल वजीर अली को कलकत्ता (कोलकता) में बुलाने लगा। वज़ीर अली ने कंपनी के वकील से शिकायत की कि गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता बुला रहा है। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत पर कोई गौर नहीं किया और उल्टा वज़ीर अली को ही बुरा-भला कहने लगा। वज़ीर अली के दिल में तो पहले से ही अंग्रेजों के खिलाफ नफ़रत कूट-कूटकर भरी हुई थी और वकील के इस तरह के व्यवहार ने वज़ीर अली को गुस्सा दिला दिया और उसने चाकू से वहीँ वकील की हत्या कर दी।
कर्नल लेफ्टिनेंट को समझाता है कि वज़ीर अली किसी भी तरह नेपाल पहुँचना चाहता है। वहाँ पहुँच कर उसकी योजना है कि वह अफगानिस्तान का हिन्दुस्तान पर हमले का इंतजार करेगा, अपनी ताकत को बढ़ाएगा, सआदत अली को सिंहांसन से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करेगा और अंग्रेजों को हिन्दुस्तान से निकालेगा। अंग्रेजी फ़ौज और नवाब सआदत अली खाँ के सिपाही बहुत सख्ती से वज़ीर अली का पीछा कर रहे हैं। अंग्रेजी फ़ौज को पूरी जानकारी है कि वज़ीर अली जंगलों में कहीं छुपा हुआ है।
लेफ्टिनेंट कहता है कि घोड़े पर सवार आदमी सीधा अंग्रेजों के तम्बू की ओर आता मालूम हो रहा है। घोड़े के टापों की आवाज़ बहुत नजदीक आकर रुक जाती है। सिपाही अंदर आकर कर्नल से कहता है कि वह सवार उससे मिलना चाहता है। कर्नल सिपाही से उस सवार को अंदर लाने के लिए कहता है। कर्नल सवार से आने का कारण पूछता है। सवार कर्नल से कुछ कारतूस मांगता है और कहता है कि वह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना चाहता है। यह सुन कर कर्नल सवार को दस कारतूस दे देता है और जब सवार से नाम पूछता है तो सवार अपना नाम वज़ीर अली बताता है और कहता है कि कर्नल ने उसे कारतूस दिए हैं इसलिए वह उसकी जान को बख्श रहा है। इतना कह कर वज़ीर अली बाहर चला जाता है, घोड़े के टापों की आवाजों से लगता है की वह दूर चला गया है। इतने में लेफ्टिनेंट अंदर आता है और कर्नल से पूछता है कि वह सवार कौन था । कर्नल अपने आप से कहता है कि वह एक ऐसा सिपाही था जो अपनी जान की परवाह नहीं करता और आज ये कर्नल ने खुद देख लिया था।
मौखिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था ?
उत्तर – अवध के अपदस्थ नवाब वज़ीर अली ने विद्रोह कर दिया था तथा गोरखपुर के निकट जंगलों में वह सक्रिय था । बरसों से वह कर्नल की पूरी फौज की आँखों में धूल झोंक रहा था । ब्रिटिश कंपनी उसे गिरफ़्तार करना चाह रही थी, इसलिए कर्नल कालिंज के नेतृत्व में सैनिकों की एक बटालियन जंगल में खेमा डाले पड़ी थी।
प्रश्न 2. वज़ीर अली से सिपाही क्यों तंग आ चुके थे ?
उत्तर - वज़ीर अली से सिपाही इसलिए तंग आ चुके थे क्योंकि वे कई हफ्तों से जंगल में डेरा डाले हुए थे, पर वज़ीर अली उनकी पकड़ में नहीं आ रहा था । उसने वर्षों से अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंक कर उनकी नाक में दम कर रखा था । अपनी सूझ – बूझ से वह किसी के भी हाथ नहीं आ रहा था ।
प्रश्न 3. कर्नल ने सवार पर नज़र रखने के लिए क्यों कहा ?
उत्तर – कर्नल ने लेफ़्टिनैंट से सवार पर नज़र रखने के लिए इसलिए कहा क्योंकि पहले उन्हें धूल के उड़ने से लगा कि बहुत लोगों का काफ़िला चला आ रहा है । पर पास आने पर पता चला कि सवार अकेला है । वह जानना चाहता था कि सवार किस दिशा की ओर जा रहा है ताकि उसकी गतिविधियों की जाँच हो सके ।
प्रश्न 4. सवार ने क्यों कहा कि वज़ीर अली की गिरफ़्तारी बहुत मुश्किल है ?
उत्तर – सवार खुद वज़ीर अली था । वह बहुत साहसी था जो अपने शत्रुओं को ललकार रहा था । उसे यह भी पता चल गया था कि उसकी गिरफ़्तारी के लिए आए सेना के अधिकारी उसे नहीं पहचानते । इसलिए उसने वज़ीर अली की गिरफ़्तारी को बहुत मुश्किल कहा ।
लिखित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.वज़ीर अली के अफ़साने सुन कर कर्नल को रॉबिनहुड़ की याद क्यों आ जाती थी ?
उत्तर – वज़ीर अली रॉबिनहुड की तरह साहसी, जाँबाज तथा बहादुर था । वह भी रॉबिनहुड़ की तरह किसी को भी चकमा देकर भाग जाता था और मजबूरों का हमदर्द था । कर्नल ने वज़ीर अली के साहस की गाथाएँ सुन रखी थीं । वह अँग्रेजी सत्ता को समाप्त कर स्वतंत्र अवध रियासत की पुनर्स्थापना करना चाहता था । वह अँग्रेजी सरकार की पकड़ में भी नहीं आ रहा था । उसने कंपनी के वकील को भी मार डाला था । उसकी बहादुरी के अफ़साने सुन कर ही कर्नल को रॉबिनहुड की याद आती है ।
प्रश्न 2. सआदत अली कौन था ? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा ?
या
सआदत अली ने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत के रूप में देखा । स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – सआदत अली अवध के नवाब आसिफ़ुद्दौला का भाई था । आसिफ़ुद्दौला की कोई संतान नहीं थी । अतः आसिफ़ुद्दौला के बाद सआदत अली के अवध का नवाब बनने की पूरी संभावना थी । परंतु जब उसे वज़ीर अली की पैदाइश का पता चला तो उसके अरमानों पर पानी फिर गया । उसे अपना भविष्य डूबता सा नज़र आने लगा । इसलिए उसने वज़ीर अली को अपनी मौत के समान समझा और वह उसका दुश्मन बन गया ।
प्रश्न 3. सआदत अली को अवध के तख्त पर बैठाने के पीछे कर्नल का क्या मकसद था ? पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर - सआदत अली अति महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति था । वह अवध के नवाब आसिफ़ुद्दौला का छोटा भाई था। अंग्रेज़ कर्नल को उसे तख्त पर बिठाने का मक़सद था अवध की धन – संपत्ति पर अधिकार करना । अंग्रेजों ने उसे अवध का नवाब बना दिया और बदले में उसने अंग्रेजों को आधी संपत्ति दे दी तथा दस लाख रूपये भी । उसने अंग्रेजों को रंग - रलियाँ मनाने के सारे सामान उपलब्ध करवाए । इस प्रकार सआदत अली के तख्त पर बैठने से अवध पर कंपनी का अधिकार सुनिश्चित हो गया ।
प्रश्न 4. कंपनी के वकील का क़त्ल करने के बाद वज़ीर अली ने अपनी हिफाज़त कैसे की ?
उत्तर – कंपनी ने वज़ीर अली को अपदस्थ कर सआदत अली को अवध का नवाब बना दिया । वज़ीर अली को पेंशन दी जाने लगी तथा उसे कोलकाता भेज दिया गया । वज़ीर अली ने इस बारे में कंपनी के वकील से जानकारी चाही, किन्तु उसका अपमान किया गया । गुस्से में वज़ीर अली ने उसका क़त्ल कर दिया अपने लोगों के साथ आजमगढ़ की तरफ़ भाग गया । आजमगढ़ के शासक ने उसे अपनी हिफाज़त में घागरा के जंगलों में भेज दिया । इसके बाद उसका कारवाँ अंग्रेजों से बचने के लिए कई सालों तक जंगल में भटकता रहा, जहाँ उसने साहस व चतुराई से अपनी हिफाज़त की ।
प्रश्न 5. सवार के जाने के बाद कर्नल हक्का – बक्का क्यों रह गया ?
उत्तर - सवार के जाने के बाद कर्नल हक्का – बक्का इसलिए रह गया क्योंकि जिस वज़ीर अली को पकड़ने के लिए जंगल में लाव – लश्कर के साथ लंबे समय से डेरा डाले हुए था, वही वज़ीर अली ऐसा भेष बदल कर आया कि कर्नल को उसके किसी भी हाव – भाव से पता नहीं चला कि वह वज़ीर अली है । उसने बड़ी होशियारी से अपना परिचय देकर कर्नल से दस कारतूस लेकर उसकी जान बख्श दी और देखते ही देखते घोड़े पर सवार होकर चला गया ।
(ख) प्रश्न 1. लेफ़्टिनैंट को ऐसा क्यों लगा कि कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है ?
उत्तर – लेफ़्टिनैंट को जब कर्नल ने बताया कि कंपनी के खिलाफ़ केवल वज़ीर अली ही नहीं बल्कि दक्षिण में टीपू सुल्तान, बंगाल में नवाब का भाई शमसुददौला भी है । इन्होंने अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे – ज़ाम को हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रण दिया है । कंपनी की पूरी फौज़ इन विद्रोहियों से निपटने में नाकामयाब हो रही थी । यह सब देख कर लेफ़्टिनैंट को आभास हुआ कि कंपनी के खिलाफ़ पूरे हिंदुस्तान में लहर दौड़ गई है ।
प्रश्न 2. वज़ीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल क्यों किया ?
उत्तर – वज़ीर अली को नवाबी के पद से हटाकर बनारस भेज दिया गया और तीन लाख रुपये वार्षिक वजीफ़ा देना तय कर दिया गया । कुछ महीने बाद ही गवर्नर जनरल ने उसे कलकत्ता बुलाया । इस पर वज़ीर अली कंपनी के वकील के पास गया, जो बनारस में रहता था और उससे शिकायत की । वकील ने उसकी शिकायत की परवाह नहीं की, उल्टा उसे ही भला – बुरा सुना दिया । इससे वज़ीर अली के स्वाभिमान को आघात पहुँचा। वैसे भी वज़ीर अली के दिल में अंग्रेजों के लिए नफ़रत कूट – कूट कर भरी हुई थी, इसलिए उसने खंजर से वकील का काम तमाम कर दिया ।
प्रश्न 3. सवार ने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए ?
उत्तर – सवार, वास्तव में स्वयं वज़ीर अली ही था । वह एक जाँबाज सिपाही था इसलिए वह अपनी वीरता और हिम्मत का परिचय देते हुए अकेला ही घोड़े पर सवार होकर अंग्रेजों के खेमे में पहुँच गया और कर्नल को दिखाया कि वह भी वज़ीर अली के खिलाफ है । उसने कर्नल से अकेले मिलने की गुजारिश की थी । उसने कर्नल से कहा कि उसे वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए दस कारतूस चाहिए । कर्नल ने उसे कारतूस दे दिए । जब कर्नल ने उससे नाम पूछा तो उसने बताया कि वह वज़ीर अली है । यह कहकर वह खेमे से तुरंत निकल गया और कर्नल हक्का – बक्का रह गया ।
प्रश्न 4. वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था , कैसे ? स्पष्ट कीजिए ।
या
वज़ीर अली की बहादुरी का वर्णन कीजिए ।
या
वज़ीर अली को एक जाँबाज़ सिपाही क्यों कहा गया है ? उसके सैनिक जीवन के क्या लक्ष्य थे ?
या
पाठ के आधार पर वज़ीर अली की बहदुरी और हिम्मत का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर – वज़ीर अली वास्तव में एक जाँबाज़ सिपाही था ।वह साहसी तथा दृढ़ प्रतिज्ञ व्यक्ति था । उसने अपनी बहादुरी का लोहा अपने दुश्मनों से भी मनवाया है । अंग्रेजों ने उसे अवध की नवाबी से अपदस्थ कर सआदत अली को अवध का नवाब बना दिया था । वज़ीफ़े की रकम हासिल करने में मुश्किल डालने वाले कंपनी के वकील की भी हत्या कर दी थी । वह अंग्रेजों को महीनों दौड़ाता रहा लेकिन उनके हाथ नहीं आया । अपने शत्रु के खेमे में अकेला ही पहुँच गया, कारतूस भी ले आया और अपना सही नाम भी बता आया । उसके सैनिक जीवन का लक्ष्य था अंग्रेजों को अपने देश से बाहर खदेड़ना और पुनः अपने देश को गुलामी से मुक्त करवाना था । इन सभी घटनाओं से साबित होता है कि वह एक जाँबाज सिपाही था ।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए -
1. मुट्ठीभर आदमी और यह दमखम ।
या
लेफ़्टिनैंट व्यक्तिगत स्तर पर वज़ीर अली को बहादुर क्यों मानता था ?
उत्तर – वज़ीर अली अवध को अंग्रेजी प्रभुत्व से मुक्त करना चाहता था । अंग्रेजों ने वज़ीर अली को अपदस्थ कर सआदत अली को नवाब बना दिया था । इस पर वज़ीर अली ने विद्रोह कर दिया । बनारस में कंपनी के वकील की हत्या करने के बाद वह गोरखपुर के जंगलों में जा छिपा । वहाँ उसके दो – चार विश्वसनीय आदमी भी साथ थे । इन मुट्ठी भर लोगों की सहायता से वज़ीर अली ने पूरी ब्रिटिश फौज को परेशान कर दिया था । उसे पकड़ना इतना मुश्किल था कि कंपनी के फौज़ के सिपाही भी तंग आ गए थे । फौज़ का कर्नल भी वज़ीर अली के साहस तथा दृढ़ता से अत्यधिक प्रभावित था । उसने वज़ीर अली की बहादुरी को निकट से देखा था । ऐसी स्थिति में वह उसके दमखम की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका ।
2 . गर्द तो ऐसे उड़ रही है जैसे कि पूरा काफ़िला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।
या
पाठ के आधार पर लिखिए कि जंगल में दूर से आते अनजान सैनिक को देखकर कर्नल और लेफ़्टिनैंट ने क्या अनुमान लगाया ?
उत्तर – यह कथन लेफ़्टिनैंट का है । वज़ीर अली अंग्रेजों के खेमे में अकेला ही चला आ रहा था परंतु उसके अदम्य साहस और विवेकपूर्ण ढंग से चलने पर ऐसे लगता था मानो पूरा काफ़िला चला आ रहा हो । वज़ीर अली जब अपनी योजनाएँ बनाता था तो शत्रु को उसकी भनक तक नहीं पड़ती थी । इसलिए उसे कोई धोखा भी न दे सका और न ही पकड़ सका । वह इतनी तेज़ी से आ रहा था कि इतनी धूल उड़ रही थी , मानो कई सैनिक आ रहें हों । पूरा एक काफ़िला चला आ रहा हो।
परीक्षापयोगी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.प्रस्तुत एकांकी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
या
एकांकी का उद्देश्य या प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – प्रस्तुत एकांकी से हमें अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की शिक्षा मिलती है । वज़ीर अली का चरित्र हिम्मत तथा बहादुरी से लड़ने की प्रेरणा देता है । अंग्रेजों ने वज़ीर अली को अपदस्थ कर सआदत अली को नवाब बना दिया था । इस पर वज़ीर अली ने विद्रोह कर दिया । बनारस में कंपनी के वकील की हत्या करने के बाद वह गोरखपुर के जंगलों में जा छिपा । वज़ीफ़े की रकम हासिल करने में मुश्किल डालने वाले कंपनी के वकील की भी हत्या कर दी थी । वह अंग्रेजों को महीनों दौड़ाता रहा लेकिन उनके हाथ नहीं आया । अपने शत्रु के खेमे में अकेला ही पहुँच गया, कारतूस भी ले आया और अपना सही नाम भी बता आया । उसी प्रकार हमें भी जीवन में आने वाली परेशानियों से हार न मानकर अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी चाहिए ।
प्रश्न 2. एकांकी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि सआदत अली जैसे लोगों ने हमेशा देश का अहित ही किया है।
उत्तर - सआदत अली अंग्रेजों का मित्र और एक बेहद ऐश - पसंद आदमी है । उसके जैसे लोग अपने स्वार्थ के लिए, ऐश-ओ-आराम के लिए कुछ भी कर सकते हैं । सआदत अली ने भी अपनी जायदाद का आधा भाग और दस लाख रुपये अंग्रेजों को दे दिया था, जबकि वे हमारे देश के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे थे । ऐसे लोगों के कारण देश की सम्पदा का उपयोग देश के विरुद्ध होता है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सआदत अली जैसे लोगों ने हमेशा देश का अहित ही किया है ।
प्रश्न 3. ‘कारतूस’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करते हुए कोई नया शीर्षक सुझाइए तथा उस शीर्षक का आधार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – एकांकी ‘कारतूस’ का शीर्षक इसकी मुख्य घटना या फिर एकांकी के मर्म पर आधारित है । एकांकी को लिखने का उद्देश्य ही जाँबाज सिपाही वज़ीर अली की वीरता को प्रदर्शित करना है। उसकी वीरता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तभी हो सकता था, जब या तो युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की जाती और उसमें वज़ीर अली को कायरों की तरह नहीं, बल्कि वीर सिपाही की तरह ब्रिटिश सेना का प्रत्युतर देने की तैयारी करता हुआ दिखाया जाता । पाठ में दूसरी स्थिति को ही शामिल किया गया है । इसमें उसकी निडरता तथा साहस को दिखाते हुए अंग्रेजों से लोहा लेने की तैयारी में संलग्न वज़ीर अली कर्नल के सामने आता है और चला जाता है । वज़ीर अली के सामने आने का बहाना है – कारतूस । अत: यह शीर्षक बिलकुल सार्थक है, जिससे वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं ।
एकांकी का शीर्षक ‘जाँबाज सिपाही – वज़ीर अली’ भी उपयुक्त हो सकता था, क्योंकि एकांकी का उद्देश्य ही वज़ीर अली की जाँबाज़ी एवं साहस को उजागर करना है।
प्रश्न 4. ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि जाँबाज़ वज़ीर अली के जीवन का लक्ष्य अंग्रेजों को इस देश से बाहर करना था ।
उत्तर – ‘कारतूस’ पाठ का उद्देश्य जाँबाज़ वज़ीर अली की वीरता और साहस को सबके सामने लाना है। वज़ीर अली भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाना चाहता है । वह इस तथ्य से परिचित हो गया कि ब्रिटिश शासन किसी भी दृष्टि से भारत एवं भारतवासियों के लिए श्रेयस्कर नहीं है, लाभप्रद नहीं है । यह धारणा स्पष्ट होते ही उसने अंग्रेजों को भारत की भूमि से बाहर खदेड़ने की ठान ली । उसने अपने पाँच महीने की हुकूमत में ही अवध के दरबार को ब्रिटिश प्रभाव से लगभग मुक्त कर लिया था। वह अफगानिस्तान के बादशाह को हिदुस्तान के ब्रिटिश शासकों पर आक्रमण करने का निमंत्रण देता है । वह अँग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ लगातार संघर्ष करता है । उसने अपनी कंपनी के वकील का भी कत्ल कर दिया । उसकी योजना यह थी कि वह अपनी शक्ति बढ़ाकर अंग्रेजों को भारत से बाहर निकाले । इसके लिए वह अलग – अलग राजाओं से मिलकर प्रयास कर रहा था । उसने अपनी वीरता और जाँबाज़ी से अंग्रेजों के मन में एक खौफ पैदा कर दिया था ।
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