आ रही रवि की सवारी-हरिवंश राय बच्चन

यह कविता हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित है। 

रही रवि की सवारी।

नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्‍वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी।

विहग, बंदी और चारण,
गा रही है कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी।
आ रही रवि की सवारी।

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह-
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी।
आ रही रवि की सवारी।

शब्दार्थ

  • अनुचरों – सेवक
  • कलि-कुसुम – बिना खिला फूल
  • कीर्ति – यश
  • धारी – धारण करना
  • तारक – तारा
  • ठिठिकना – चलते-चलते अचानक रुक जाना
  • चारण – वीरों की प्रशंसा के गीत गाने वाले लोग

छंद – 1

आ रही रवि ………………………………………….. पोशाक धारी।

इस कविता में बताया जा रहा है कि घने अंधकार यानी रात के बाद सूर्य (रवि) की सवारी आ रही है। सूर्य की रथ नए किरणों से सजी है, कलियों तथा फूलों से रास्ते सजे हैं, बादल जो अनुचर यानि सेवक जैसे हैं वे भी सोने की पोशाक पहने खड़े हैं। यह सब सूरज के स्वागत में खड़े हैं।

छंद – 2 

आ रही रवि ………………………………………….. की फौज सारी।

घने अंधेरे यानी रात के बाद सूर्य (रवि) की सवारी आ रही है । पक्षी हो या बंदी या फिर प्रशंसा के गीत गाने वाले लोग सभी मिलकर सूर्य के यश / प्रशंसा के गीत गा रहे हैं। आखिरकार मैदान छोड़कर तारों की फौज भी भाग गई जो रात के अंधेरे में चमक रही थी। सूर्य की चमक के सामने वे टिक नहीं पाए और भाग खड़े हुए। 

छंद – 3 

आ रही रवि …………………………………………..आ रही रवि की सवारी। 

कवि कहते हैं कि घने अंधेरे यानी रात के बाद सूर्य (रवि) की सवारी आ रही है । खुशी से उछलकर जीतने की बात चाहता हूँ, पर वहीं चाँद जो रात के राजा हैं उन्हें भिखारी यानी लाचार और मजबूर देखकर ठिठक जाता हूँ और चुप हो जाता हूँ। आ रही है सूर्य की सवारी। 

कविता में बताया गया है कि सभी का अपना-अपना महत्त्व है और सभी का समय आता है । अच्छे के बाद बुरे तथा बुरे के बाद अच्छे समय आते ही हैं। अगर आप सच्ची लगन से अपना काम करें तो आप अपने लक्ष्य को निश्चित ही प्राप्त करेंगे। 

कविता का मूलभाव

‘आ रही रवि की सवारी’ इस नाम से  ही पता चलता है कि किसी के जोर-शोर से आने की बात हो रही है। ‘रवि’ का अर्थ है सूरज या सूर्य। जिस तरह रात के अंधेरे को चीरकर सूर्य अपने अस्तित्व में आ ही जाता है, उसी तरह से हमें भी संकट रूपी अँधकार को तोड़कर अपनी ज़िम्मेदारी को निभाना चाहिए। उगते हुए सूरज या सफलता पाने वाले लोगों का दुनिया बेसब्री से इंतजार करती है । उसके स्वागत में खुद को झोंक देती है । समय बहुत ही बलवान होता है । इसलिए बताया गया है कि चंद्रमा जो की रात का राजा है उसे भी समय आने पर यानी सुबह में अपना अस्तित्व छिपाना पड़ता है । ठीक उसी तरह शाम होते सूरज छिप जाता है और चाँद गर्व से चमकता है । इससे यही पता चलता है कि सभी का अपना-अपना वक्त होता है । हम भी अपनी मंजिल को पाने का प्रयास हमेशा करते रहें तथा सही वक्त का इंतजार करते रहें । इससे सब कुछ ठीक हो जाता है साथ ही समय का महत्व भी समझ में आता है । कोई किसी से बड़ा या छोटा नहीं होता बल्कि समय तथा ज़रुरत उसे बड़ा या छोटा बनाती है ।

आ रही रवि की सवारी प्रश्न और उत्तर

शब्दार्थ

  • अनुचरों – सेवक
  • कलि-कुसुम – बिना खिला फूल
  • कीर्ति – यश
  • धारी – धारण करना
  • तारक – तारा
  • ठिठिकना – चलते-चलते अचानक रुक जाना
  • चारण – वीरों की प्रशंसा के गीत गाने वाले लोग

प्रश्न 1: रिक्त स्थान भरिए –

(क) कविता में रवि की सवारी की बात हो रही है।
(ख) रात का राजा चंद्रमा को कहा गया है। 
(ग) रथ नव किरणों का सजा है। 
(घ) कलि-कुसुम से पथ सजा है। 
(ङ ) विहग, बंदी और चारण कीर्ति-गायन गा रहे हैं। 
(च) कवि विजय कह उछलना चाहता है। 

प्रश्न 2: सही या गलत लिखिए। 

(क) रात का राजा तारों को कहा गया है – गलत 
(ख) सूर्य की सवारी आने पर फूलों से रास्ता सज गया है – सही 
(ग) पक्षी मैदान छोड़कर भाग गए – गलत 
(घ) नव किरण से सूर्य रथ सजा है – सही 
(ङ ) राह में इंद्रधनुष राजा बनकर खड़ा है – गलत
(च) अनुचरों ने सुनहरे वस्त्र धारण कर लिए हैं – सही
(छ) मैदान छोड़कर तारों की फौज भाग गई है – सही

प्रश्न 3: रवि की सवारी के लिए पथ किस प्रकार सजा है?

उत्तर: रवि की सवारी के लिए पथ कलि-कुसुम से सजा है।

प्रश्न 4: कीर्ति-गायन कौन गा रहे हैं ?

उत्तर: विहग, बंदी और चारण कीर्ति-गायन गा रहे हैं। 

प्रश्न 5: बादलों को किसकी उपमा दी गई है ?

उत्तर: बादलों को अनुचरों की उपमा दी गई है।

प्रश्न 6: रात का राजा कौन है?

उत्तर: रात का राजा चंद्रमा है।

प्रश्न 7: रात का राजा कहाँ खड़ा है?

उत्तर: रात का राजा रास्ते में खड़ा है।

प्रश्न 8: तारे स्वयं प्रकाशमय होते हैंलेकिन सूरज के आने पर क्यों नहीं चमकते?

उत्तर: तारे स्वयं प्रकाशमय होते हैं, लेकिन सूरज के आने पर इसलिए नहीं चमकते क्योंकि उनसे कहीं अधिक रोशनी सूरज की होती है।

प्रश्न 9: अनुचरों ने क्या धारण किया है ?

उत्तर: अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक की धारण की है।

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