तत्पुरुष समास
तत्पुरूष समास
तत्पुरूष समास की परिभाषा :
तत्पुरूष समास के भेद :
परिभाषा :
इस समास में पूर्व पद गौण और उत्तर पद प्रधान होता है। पहला पद दूसरे पद के प्रश्न का उत्तर होता है। दोनों पदों के मध्य कारक चिह्न/विभक्ति/परसर्ग का लोप हो जाता है। विग्रह करने पर कारक चिह्न का प्रयोग होता है। इस समास से कर्ता एवं संबोधन कारक को पृथक रखा गया है।
उदाहरण :
समस्त पद पूर्व पद + उत्तर पद विग्रह
संकटमुक्त = संकट + मुक्त = संकट से मुक्त
उपरोक्त शब्द 'संकटमुक्त' में उत्तर पद 'मुक्त' है जो प्रश्न है। जब हम प्रश्न करते हैं 'किससे मुक्त' तब पूर्व पद से हमें यह उत्तर प्राप्त होता है 'संकट से मुक्त'।
इस तरह से यह ज्ञात होता है कि उत्तर पद प्रधान होने के साथ प्रश्न भी होता है जिसका उत्तर, पूर्व पद होता है।
तत्पुरूष समास के भेद :
तत्पुरूष समास के छ: भेद होते हैं।
1. कर्म तत्पुरूष समास
2. करण तत्पुरूष समास
3. संप्रदान तत्पुरूष समास
4. अपादान तत्पुरूष समास
5. संबंध तत्पुरूष समास
6. अधिकरण तत्पुरूष समास
1. कर्म तत्पुरूष समास :
इसमें कर्म कारक की विभक्ति/परसर्ग 'को' लगा है। इस चिह्न को लुप्त करने के पश्चात यह कर्म तत्पुरूष समास बन जाता है।
समस्त पद विग्रह
यशप्राप्त यश को प्राप्त
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
ग्रंथकार ग्रंथ को लिखने वाला
सम्मानप्राप्त सम्मान को प्राप्त
गिरहकट गिरह को काटने वाला
2. करण तत्पुरूष समास :
करण कारक की विभक्ति चिह्न 'से' होती है। करण तत्पुरूष समास में इन विभक्ति चिह्नों का लोप पाया जाता है।
समस्त पद विग्रह
हस्तलिखित हाथ से लिखा
मनचाहा मन से चाहा
अकालपीड़ित अकाल से पीड़ित
रसभरा रस से भरा
शोकाकुल शोक से व्याकुल
3. संप्रदान तत्पुरूष समास :
इसमें कारक चिह्न 'के लिए' को हटाकर संप्रदान तत्पुरूष समास का निर्माण किया जाता है।
समस्त पद विग्रह
रसोईघर रसोई के लिए घर
पाठशाला पाठ के लिए शाला
देशभक्ति देश के लिए भक्ति
युद्धभूमि युद्ध के लिए भूमि
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
4. अपादान तत्पुरूष समास :
इस कारक चिह्न 'से' का अर्थ अलग होने से है। अपादान तत्पुरूष समास बनाने के समय इस चिह्न का लोप कर दिया जाता है।
समस्त पद विग्रह
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
धनहीन धन से हीन
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
रोगमुक्त रोग से मुक्त
जीवनमुक्त जीवन से मुक्त
5. संबंध तत्पुरूष समास :
संबंध कारक चिह्न 'का, के, की' को लुप्त कर संबंध तत्पुरूष समास बनाया जाता है।
समस्त पद विग्रह
राजपुत्र राजा का पुत्र
सूर्यपुत्र सूर्य का पुत्र
राजमहल राजा का महल
राजसभा राजा की सभा
जलधारा जल की धारा
6. अधिकरण तत्पचरूष समास :
अधिकरण तत्पुरूष समास का निर्माण करने हेतु अधिकरण कारक चिह्न 'में, पर' को हटा दिया जाता है।
समस्त पद विग्रह
शोकमग्न शोक में मग्न
नीतिकुशल नीति में कुशल
वनवास वन में वास
घुड़सवार घोड़े पर सवार
आपबीती आप पर बीती
स्वर्गवासी स्वर्ग को जाने वाला
परलोकगमन परलोक को जाने वाला
मुँँहतोड़ मुँह को तोड़ने वाला
सुखप्राप्त सुख को प्राप्त
रथचालक रथ को चलाने वाला
ग्रामगत गांव को गया हुआ
वनगमन वन को गमन
देशगत देश को गया हुआ
जनप्रिय जन को प्रिय
सर्वप्रिय सब को प्रिय
कठफोड़वा काठ को फोड़ने वाला
गगनचुंबी गगन को चुमने वाला
माखनचोर माखन को चुराने वाला
मनोहर मन को हरने वाला
संगीतकार संगीत को रचने वाला
इसमें कर्म कारक की विभक्ति/परसर्ग 'को' लगा है। इस चिह्न को लुप्त करने के पश्चात यह कर्म तत्पुरूष समास बन जाता है।
समस्त पद विग्रह
यशप्राप्त यश को प्राप्त
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
ग्रंथकार ग्रंथ को लिखने वाला
सम्मानप्राप्त सम्मान को प्राप्त
गिरहकट गिरह को काटने वाला
2. करण तत्पुरूष समास :
करण कारक की विभक्ति चिह्न 'से' होती है। करण तत्पुरूष समास में इन विभक्ति चिह्नों का लोप पाया जाता है।
समस्त पद विग्रह
हस्तलिखित हाथ से लिखा
मनचाहा मन से चाहा
अकालपीड़ित अकाल से पीड़ित
रसभरा रस से भरा
शोकाकुल शोक से व्याकुल
3. संप्रदान तत्पुरूष समास :
इसमें कारक चिह्न 'के लिए' को हटाकर संप्रदान तत्पुरूष समास का निर्माण किया जाता है।
समस्त पद विग्रह
रसोईघर रसोई के लिए घर
पाठशाला पाठ के लिए शाला
देशभक्ति देश के लिए भक्ति
युद्धभूमि युद्ध के लिए भूमि
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
4. अपादान तत्पुरूष समास :
इस कारक चिह्न 'से' का अर्थ अलग होने से है। अपादान तत्पुरूष समास बनाने के समय इस चिह्न का लोप कर दिया जाता है।
समस्त पद विग्रह
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
धनहीन धन से हीन
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
रोगमुक्त रोग से मुक्त
जीवनमुक्त जीवन से मुक्त
5. संबंध तत्पुरूष समास :
संबंध कारक चिह्न 'का, के, की' को लुप्त कर संबंध तत्पुरूष समास बनाया जाता है।
समस्त पद विग्रह
राजपुत्र राजा का पुत्र
सूर्यपुत्र सूर्य का पुत्र
राजमहल राजा का महल
राजसभा राजा की सभा
जलधारा जल की धारा
6. अधिकरण तत्पचरूष समास :
अधिकरण तत्पुरूष समास का निर्माण करने हेतु अधिकरण कारक चिह्न 'में, पर' को हटा दिया जाता है।
समस्त पद विग्रह
शोकमग्न शोक में मग्न
नीतिकुशल नीति में कुशल
वनवास वन में वास
घुड़सवार घोड़े पर सवार
आपबीती आप पर बीती
तत्पुरूष समास के कुछ उदाहरण :
1. कर्म तत्पुरूष समास :
समस्त पद विग्रहस्वर्गवासी स्वर्ग को जाने वाला
परलोकगमन परलोक को जाने वाला
मुँँहतोड़ मुँह को तोड़ने वाला
सुखप्राप्त सुख को प्राप्त
रथचालक रथ को चलाने वाला
ग्रामगत गांव को गया हुआ
वनगमन वन को गमन
देशगत देश को गया हुआ
जनप्रिय जन को प्रिय
सर्वप्रिय सब को प्रिय
कठफोड़वा काठ को फोड़ने वाला
गगनचुंबी गगन को चुमने वाला
माखनचोर माखन को चुराने वाला
मनोहर मन को हरने वाला
संगीतकार संगीत को रचने वाला
करण तत्पुरूष समास :
समस्त पद विग्रह
कर्मवीर कर्म से वीर
नामी नाम से प्रसिद्ध
नामी नाम से प्रसिद्ध
अंधकारयुक्त अंधकार से भरा
कलंकयुक्त कलंक से युक्त
गुणयुक्त गुण से भरा हुआ
ज्ञानयुक्त ज्ञान से भरा
जलाभिषेक जल से अभिषेक
तर्कसंगत तर्क से पूर्ण
रक्तरंजित रक्त से सना
रेखांकित रेखा से अंकित
मनगढंत मन से गढा
करूणापूर्ण करूणा से भरा
शोकग्रस्त शोक से ग्रस्त
रोगपीड़ित रोग से पीड़ित
डरावना डर से भरा
संप्रदान तत्पुरूष समास :
समस्त पद विग्रह
परीक्षाभवन परीक्षा के लिए भवन
शिवालय शिव के लिए आलय
डाकघर डाक के लिए घर
मार्गव्यय मार्ग के लिए खर्च
हथकड़ी हाथ के लिए कड़ी
गोशाला गाय के लिए घर
पुत्रशोक पुत्र के लिए शोक
विद्यालय विद्या के लिए आलय
स्नानागार स्नान के लिए घर
गुरूदक्षिणा गुरू के लिए दक्षिणा
देवालय देव के लिए आलय
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
प्रयोगशाला प्रयोग के लिए स्थान
सभाभवन सभा के लिए भवन
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
अपादान तत्पुरूष समास :
समस्त पद विग्रह
निडर डर से मुक्त
निडर डर से मुक्त
अन्नहीन अन्न से हीन
दयाहीन दया से हीन
धर्मभ्रष्ट धर्म से भ्रष्ट
राहभ्रष्ट राह से भ्रष्ट
पापमुक्त पाप से मुक्त
नेत्रहीन नेत्र से हीन
देशनिकाला देश से निकाला
पदच्युत पद से मुक्त
जन्मरोगी जन्म से रोगी
जन्माँध जन्म से अँधा
कलंकमुक्त कलंक से मुक्त
लोभमुक्त लोभ से मुक्त
करूणाहीन करूणा से हीन
कैदमुक्त कैद से मुक्त
संबंध तत्पुरूष समास :
समस्त पद विग्रह
गंगाजल गंगा का जल
राजकुमारी राजा की कुमारी
दीपावली दीपों की अवली (कतार)
मदिरालय मदीरा का आलय
लोकतंत्र लोक की शक्ति
प्रजातंत्र प्रजा का तंत्र
सतयुग सत्य का युग
राजनीति राजा की नीति
सीमारेखा सीमा की रेखा
सुखयोग सुख का योग
धरतीपुत्र धरती का पुत्र
धनलक्ष्मी धन की देवी
पूर्वजन्म पूर्व का जन्म
ईश्वरभक्ति ईश्वर की भक्ति
देशरक्षा देश की रक्षा
अधिकरण तत्पुरूष समास :
समस्त पद विग्रह
आनंदमय आनंद में मय
आनंदमग्न आनंद में मग्न
कुलश्रेष्ठ कुल में श्रेष्ठ
प्रेममग्न प्रेम में मग्न
जलज जल में मग्न
गृहप्रवेश गृह में प्रवेश
पर्वतारोहण पर्वत पर चढना
पर्वतारोहण पर्वत पर चढना
दानवीर दान में वीर
सिरदर्द सिर में दर्द
कार्यकुशल कार्य में कुशल
ईश्वरभक्ति ईश्वर में भक्ति
आत्मविश्वास आत्मा में विश्वास
प्रेममय प्रेम में मय
नीतिकुशल नीति में कुशल
नरोत्तम नरों में उत्तम
नञ तत्पुरूष
जब पूर्व पद में नकारात्मक भाव व्यक्त हो। उस भाव को व्यक्त करने के लिए “ न “ अथवा “ अ ” जोड़ा जाता है तो वहाँ नञ तत्पुरूष समास होता है।
नञ तत्पुरूष समास के उदाहरण -
समास (समस्त पद) – समास-विग्रह
नगण्य – न गण्य (गणना)
अनचाही – न चाही
अमंगल – न मंगल
अनबन – न बनना
अधीर – न धीर
अदृश्य – न दृश्य
अनिच्छुक – न इच्छुक
अस्थिर – न स्थिर
असत्य – न सत्य
अनश्वर – न नश्वर
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