हामिद खाँ/Hamid Khan-Class 9th
प्रश्न 1.
लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर-
हामिद पाकिस्तानी मुसलमान था। वह तक्षशिला के पास एक गाँव में होटल चलाता था। लेखक तक्षशिला के खंडहर देखने के लिए पाकिस्तान आया तो हामिद के होटल पर खाना खाने पहुँचा। वहीं उनका आपस में परिचय हुआ।
प्रश्न 2.
काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर-
हामिद ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि वहाँ हिंदू-मुसलमानों को आतताइयों की औलाद समझते हैं। वहाँ सांप्रदायिक सौहार्द्र की कमी के कारण आए दिन हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे होते रहे हैं। इसके विपरीत भारत में हिंदू-मुसलमान सौहार्द से मिल-जुलकर रहते हैं। ऐसी बातें हामिद के लिए सपने जैसी थी।
प्रश्न 3.
हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर-
हामिद को लेखक की भेदभाव रहित बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने हामिद को बताया कि उनके प्रदेश में हिंदू-मुसलमान बड़े प्रेम से रहते हैं। वहाँ के हिंदू बढ़िया चाय या पुलावों का स्वाद लेने के लिए मुसलमानी होटल में ही जाते हैं। पाकिस्तान में ऐसा होना संभव नहीं था। वहाँ के हिंदू मुसलमानों को अत्याचारी मानकर उनसे घृणा करते थे। इसलिए हामिद को लेखक की बातों पर विश्वास न हो सका।
प्रश्न 4.
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?
उत्तर-
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इसलिए इंकार कर दिया, क्योंकि-
- वह भारत से पाकिस्तान गए लेखक को अपना मेहमान मान रहा था।
- हिंदू होकर भी लेखक मुसलमान के ढाबे पर खाना खाने गया था।
- लेखक मुसलमानों को आतताइयों की औलाद नहीं मानता था।
- लेखक की सौहार्द भरी बातों से हामिद खाँ बहुत प्रभावित था।
- लेखक की मेहमाननवाजी करके हामिद ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा का निर्वाह करना चाहता था।
प्रश्न 5.
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के आपसी संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। हिंदूजन मुसलमानों के होटलों में खूब खान-पान करते हैं। वे आपस में मिल जुलकर रहते हैं। भारत में मुसलमानों द्वारा बनाई गई पहली मसजिद उन्हीं के राज्य में है। फिर भी वहाँ सांप्रदायिक दंगे बहुत कम होते हैं।
प्रश्न 6.
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर-
तक्षशिला में आगजनी की खबर सुनकर लेखक के मन में हामिद खाँ और उसकी दुकान के आगजनी से प्रभावित होने का विचार कौंधा। वह सोच रहा था कि कहीं हामिद की दुकान इस आगजनी का शिकार न हो गई हो। वह हामिद की सलामती की प्रार्थना करने लगा। इससे लेखक के कृतज्ञ होने, हिंदू-मुसलमानों को समान समझने की मानवीय भावना रखने वाले स्वभाव का पता चलता है।
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लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
सांप्रदायिक दंगों की खबर पढ़कर लेखक कौन-सी प्रार्थना करने लगा?
उत्तर-
सांप्रदायिक दंगों की खबर पढ़कर लेखक को हामिद और उसकी दुकान की याद हो आई। वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगा, “हे भगवान! मेरे हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना।”
प्रश्न 2.
हामिद खाँ की दुकान का चित्रण कीजिए।
उत्तर-
हामिद खाँ की दुकान तक्षशिला रेलवे स्टेशन से पौन मील दूरी पर एक गाँव के तंग बाज़ार में थी। उसकी दुकान का आँगन बेतरतीबी से लीपा था तथा दीवारें धूल से सनी थीं। अंदर चारपाई पर हामिद के अब्बा हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। दुकान में ग्राहकों के लिए कुछ बेंच भी पड़े थे।
प्रश्न 3.
लेखक को हामिद की याद बनी रहे, इसके लिए उसने क्या तरीका अपनाया?
उत्तर-
भारत जाने पर भी लेखक को हामिद की याद आए, इसके लिए उसने लेखक को भोजन के बदले दिया गया रुपया वापस करते हुए कहा, ‘मैं चाहता हूँ कि यह आपके ही हाथों में रहे। जब आप पहुँचे तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इसे पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें।”
प्रश्न 4.
हामिद ने ‘अतिथि देवो भवः’ परंपरा का निर्वाह किस तरह किया?
उत्तर-
लेखक तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने पाकिस्तान गया था। वह भूख-प्यास से बेहाल होकर खाने की तलाश में हामिद की दुकान पर गया। वहाँ वह लेखक की बातों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने लेखक को आदर से भोजन ही नहीं कराया बल्कि उसे अपना मेहमान समझकर उससे पैसे नहीं लिए और सदा-सदा के लिए लेखक के मन में अपनी छाप छोड़ दी, इस तरह उसने ‘अतिथि देवो भवः’ परंपरा का निर्वाह किया।
प्रश्न 5.
लेखक ने तक्षशिला में हामिद की निकटता पाने का क्या उपाय अपनाया? इसका हामिद पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
लेखक जानता था कि परदेश में मुसकराहट ही हमारी रक्षक और सहायक बनती है। अतः लेखक ने हामिद की निकटता पाने के लिए अपना व्यवहार विनम्र बनाया और होठों पर मुसकान की चादर ओढ़ ली। मुसकान सामने वाले पर अचूक प्रभाव डालती है। हामिद भी इससे बच न सका। वह लेखक से बहुत प्रभावित हुआ।
प्रश्न 6.
‘तक्षशिला और मालाबार के लोगों में सांप्रदायिक सद्भाव में क्या अंतर है’? हामिद खाँ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
तक्षशिला के लोगों में सांप्रदायिकता का बोलबाला था। वहाँ हिंदू और मुसलमान परस्पर शक की निगाह से देखते हैं और एक-दूसरे को मारने-काटने के लिए दंगे और आगजनी करते हैं। इसके विपरीत मालाबार में हिंदू-मुसलमानों में सांप्रदायिक सद्भाव है। वे मिल-जुलकर रहते हैं। यहाँ नहीं के बराबर दंगे होते हैं।
प्रश्न 7.
आज समाज में हामिद जैसों की आवश्यकता है। इससे आप कितना सहमत हैं और क्यों?
उत्तर-
हामिद अमन पसंद व्यक्ति है। वह तक्षशिला में होने वाले हिंदू-मुसलमानों के लड़ाई-झगड़े से दुखी है। वह चाहता है कि समाज में हिंदू-मुसलमान एकता, भाई-चारा बनाकर रहें तथा आपस में प्रेम करें। वे दंगों तथा मारकाट से दूर रहें। हामिद के हृदय में मनुष्य मात्र के लिए प्रेम है। अतः आज समाज में हामिद जैसों की आवश्यकता है और भविष्य में भी रहेगी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
हामिद खाँ ने अपने व्यवहार से भारतीय संस्कृति की किस विशेषता की यादें ताज़ी कर दीं, और कैसे?
उत्तर
लेखक तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वहाँ वह धूप में भूख-प्यास से बेहाल होकर होटल की तलाश कर रहा था कि उसे हामिद खाँ की दुकान पर जाना पड़ा। यहाँ हामिद खाँ ने जाना कि लेखक भारत से आया है। और वह हिंदू है तो उसने लेखक से खाने का पैसा नहीं लिया और कहा, “भाई जान, माफ़ करना। पैसे नहीं लूंगा। आप मेरे मेहमान हैं।” हामिद ने अपने व्यवहार से भारतीय संस्कृति की विशेषता ‘अतिथि देवो भव’ की यादें ताज़ी कर दी। उसने लेखक को अपना मेहमान मानकर आदरपूर्वक भोजन कराया और अपने व्यवहार की छाप लेखक के हृदय पर छोड़ दी।
प्रश्न 2.
सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?
उत्तर
सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए मैं निम्नलिखित सुझाव देना चाहूँगा-
- हिंदू-मुसलमानों को परस्पर मिल-जुलकर रहना चाहिए।
- उन्हें एक-दूसरे के धर्म का आदर करना चाहिए तथा धर्म के प्रति कट्टरता को त्याग करना चाहिए।
- एक-दूसरे के त्योहारों को मिल-जुलकर मनाना चाहिए, जिससे आपसी दूरी कम हो जाए।
- अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए नेताओं को किसी धर्म के विरुद्ध भड़काऊ भाषण नहीं देना चाहिए।
- एक-दूसरे के धर्म, भाषा, रहन-सहन, आचार-विचार तथा सामाजिक मान्यताओं को नीचा दिखाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
- किसी बहकावे में आकर मरने-मिटने को तैयार नहीं हो जाना चाहिए।
- अपने विचारों की संकीर्णता में दोनों धर्मों के लोगों को बदलाव लाना चाहिए।
प्रश्न 3.
हामिद के भारत आने पर आप उसके साथ कैसा व्यवहार करते?
उत्तर-
हामिद के भारत आने पर मैं उसका गर्मजोशी से स्वागत करता। उससे तक्षशिला के सांप्रदायिक वातावरण में आए बदलावों के बारे में पूछता, उसकी दुकान के बारे में पूछता। मैं हामिद को मालाबार के अलावा भारत के अन्य शहरों में ले जाता और हिंदू-मुस्लिम एकता के दर्शन कराता। मैं उसे अपने साथ हिंदू होटलों के अलावा मुस्लिम होटलों में भी खाना खिलाता। उसे हिंदू-मुसलमान दोनों धर्मों के लोगों से मिलवाता ताकि वह यहाँ के सांप्रदायिकता सौहार्द को स्वयं महसूस कर सके। मैं उसके साथ ‘अतिथि देवो भव’ परंपरा का पूर्ण निर्वाह करना।।
प्रश्न 4.
अखबार में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक क्यों चिंतित हो गया?
उत्तर-
लेखक पाकिस्तान स्थित तक्षशिला के पौराणिक खंडहरों को देखने गया था। वहाँ से वह भूख-प्यास से बेहाल होकर भटक रहा था। वह स्टेशन से कुछ दूर चला आया। यहाँ उसे एक दुकान में रोटियाँ सिंकती दिखी। बातचीत में पता चला कि दुकान हामिद नामक अधेड़ उम्र का पठान चला रहा है। हामिद लेखक की बातों से प्रभावित होता है, विशेष रूप से एक हिंदू होकर मुसलमान के ढाबे पर खाने आना। वह लेखक को मेहमान मान लिया और पैसे नहीं लिए। उसने लेखक के मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी थी। हामिद भी कहीं इस आगजनी का शिकार न हो गया हो, यह सोचकर लेखक चिंतित हो गया।
प्रश्न 5.
हमें अपनी जान बचाने के लिए लड़ना पड़ता है, यही हमारी नियति है। ऐसा किसने और क्यों कहा? उसके इस कथन का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
लेखक तक्षशिला की एक सँकरी गली में खाने के लिए कोई ढाबा हूँढ़ रहा था कि एक दुकान से चपातियों की सोधी खुशबू आती महसूस हुई। वह दुकान के अंदर चला गया। बातचीत में चपातियाँ सेंकने वाले हामिद ने पूछा, क्या आप हिंदू हैं? लेखक के हाँ कहने पर उसने पूछा आप हिंदू होकर भी मुसलमान के ढाबे पर खाना खाने आए हैं, तो लेखक ने अपने देश हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सद्भाव के बारे में उसे बताया जबकि तक्षशिला में स्थिति ठीक विपरीत थी। वहाँ हामिद जैसों को आतताइयों की औलाद माना जाता था। उन पर हमले किए-कराए जाते थे, इसलिए उसने कहा कि हमें अपनी जान बचाने के लिए लड़ना पड़ता है। उसके इस कथन से लेखक दुखी हुआ।
प्रश्न 6.
हामिद कौन था? उसे लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर
हामिद तक्षशिला की सँकरी गलियों में ढाबा चलाने वाला अधेड़ उम्र का पठान था। वह अत्यंत संवेदनशील और विनम्र व्यक्ति था। तक्षशिला में उस जैसों को सांप्रदायिकता का शिकार होना पड़ता था। इससे बचने के लिए उसे आतताइयों से लड़ना-झगड़ना पड़ता था। लेखक ने जब उसे बताया कि उसके यहाँ (मालाबार में) अच्छी चाय पीने और स्वादिष्ट बिरयानी खाने के लिए हिंदू भी मुसलमानों के ढाबे पर जाते हैं तथा हिंदू और मुसलमान परस्पर मिल-जुलकर रहते हैं। इसके अलावा भारत में पहली मस्जिद का निर्माण मुसलमानों ने उसके राज्य के एक स्थान कोंडुगल्लूर में किया था तथा उसके यहाँ हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं, तो यह सब सुनकर हामिद को विश्वास नहीं हो रहा था।
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