हिंदी साहित्य की दस सर्वश्रेष्ठ कविताएँ-Hindi Sahitya ki 10 Sarvashreshth kavitayen
हिंदी साहित्य में पिछले सौ वर्षों में जो सैकड़ों कविताएं प्रकाशित हुई हैं उनमें से मैंने अपनी पसंद से ये दस श्रेष्ठ कविताएं चुनी हैं.
सभी कविताओं के यूट्यूब लिंक उनके क्रम के अनुसार दिए गए हैं।कविताऍं जरूर सुनें।
1. अंधेरे में – गजानन माधव मुक्तिबोध
आधुनिक हिंदी कविता में सन् 2013 एक ख़ास अहमियत रखता है क्योंकि इस वर्ष गजानन माधव मुक्तिबोध की लंबी कविता ‘अंधेरे में’ की अर्धशती शुरू हो रही है. सन् 1962-63 में लिखी गई और नवंबर 1964 की ‘कल्पना’ पत्रिका में प्रकाशित यह कविता इन 50 वर्षों में लगातार प्रासंगिक होती गई है और आज एक बड़ा काव्यात्मक दस्तावेज़ बन चुकी है.
2. मेरा नया बचपन – सुभद्रा कुमारी चौहान
कई वर्ष पहले लिखी गई सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ’मेरा नया बचपन’ अपनी मार्मिकता और निश्छलता के लिए अविस्मरणीय है. यह कविता काफ़ी समय तक स्कूली पाठ्यक्रम में लगी रही और पुरानी पीढ़ी के बहुत से लोगों को आज भी कंठस्थ होगी.
3. सरोज स्मृति – निराला
निराला की लंबी कविता ’सरोज स्मृति’ भी ऐसी ही रचना है जो अपने समय को लांघ कर आज भी समकालीन है. विश्व कविता में शोकगीत (एलेजी) को बहुत अहमियत दी जाती है और इस कसौटी पर निराला की यह कविता विश्व के सर्वश्रेष्ठ शोकगीतों में रखी जा सकती है.
4. टूटी हुई बिखरी हुई – शमशेर बहादुर सिंह
‘सरोज स्मृति’ की करुणा के बाद शमशेर बहादुर सिंह की ‘टूटी हुई बिखरी हुई’ में प्रेम की करुणा दिखाई देती है, जो अपने विलक्षण बिंबों, अति-यथार्थवादी दृश्यों के कारण चर्चित हुई. यह प्रेम का प्रकाश-स्तंभ है. एक प्रेमी का विमर्श, उसका आत्मालाप और ख़ुद को मिटा देने की उत्कट इच्छा.
5. कलगी बाजरे की – अज्ञेय
खड़ी बोली की कविता का इतिहास अभी सौ वर्ष का भी नहीं है, लेकिन उसमें विभिन्न आंदोलनों के पड़ाव काफ़ी महत्वपूर्ण हैं. ऐसा ही एक प्रस्थान-बिंदु प्रयोगवाद या नयी कविता है, जिसकी घोषणा अज्ञेय की कविता ‘कलगी बाजरे की’ बखूबी करती है.
6. अकाल और उसके बाद – नागार्जुन
दोहा-छंद में लिखी जनकवि नागार्जुन की कविता ‘अकाल और उसके बाद’ अपने स्वभाव के अनुरूप नाविक के तीर की तरह है – दिखने में जितनी छोटी, अर्थ में उतनी ही सघन.
नागार्जुन भारतीय ग्राम जीवन के सबसे बड़े चितेरे हैं और ‘अकाल और उसके बाद’ में घर में रोते चूल्हे, उदास चक्की और अनाज के आने के चित्र हमारी सामुहिक स्मृति में हमेशा के लिए अंकित हो चुके हैं.
7. चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती – त्रिलोचन
प्रगतिशील परंपरा के एक और प्रमुख कवि त्रिलोचन की कविता ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ भी एक अविस्मरणीय कविता है जिसकी कथा और संवेदना की कोमलता दोनों अभिभूत करती हैं. यह एक छोटी बच्ची चंपा और कवि का संवाद है.
8. रामदास – रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय की कविता ‘रामदास’ तक आते-आते दुनिया बहुत कठोर और स्याह हो जाती है. नागरिक जीवन के अप्रतिम कवि रघुवीर सहाय की यह कविता शहरी मध्यमवर्गीय जीवन में आती निर्ममता, संवेदनहीनता और चतुराई की चीरफाड़ करती है.
9. बीस साल बाद – धूमिल
धूमिल की कविता ‘बीस साल बाद’ देश की आज़ादी के बीस वर्ष बीतने पर लिखी गई थी, लेकिन आज 66 वर्ष बाद भी वह पुरानी नहीं लगती तो इसकी वजह यह है कि
‘सड़कों पर बिखरे जूतों की भाषा में
एक दुर्घटना लिखी गई है’
10 मुक्तिप्रसंग – राजकमल चौधरी
राजकमल चौधरी की लंबी कविता ‘मुक्तिप्रसंग’ न सिर्फ़ इस अराजक कवि की उपलब्धि मानी जाती है, बल्कि लंबी कविताओं में भी एक विशिष्ट जगह रखती है. वह भी हमारी लोकतांत्रिक पद्धतियों की दास्तान कहती है जो जन-साधारण को ‘पेट के बल झुका देती हैं.’
संकलन-विष्णु वैश्विक
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