रिश्ते
खुद्दारी की कविता है,पढ़ें जरूर--
ऐसे रिश्तों से क्या लेना,जिनमे कोई जज्बात नही।
बस ! झूठे वादे कसमे हों, सच्चाई की कोई बात नही।।
जो समझे हैं जज्बातों को,उनको समझाया जाता है।
हो जिन रिश्तों में सच्चाई,उनको ही निभाया जाता है।।
हो जिन रिश्तों में सच्चाई,उनको ही निभाया जाता है।।
जो कवितायेँ हो दम्भ भरी,उन कविताओं को छोड़ो ना!
जो बीज मर गए पहले ही, ऐसे बीजों को क्या सेयना ।।
हो न जिनमें प्रेमांकुर,ऐसी कविता का क्या करना।
हो नवांकुर जिन बीजों में, उनको ही उगाया जाता है।।
हो नवांकुर जिन बीजों में, उनको ही उगाया जाता है।।
उन गीतों से है क्या लेना,जिनमे कोई संगीत नही।
उस व्यक्ति के लिए तड़पना क्या,जिसके मन में कोई प्रीत नही।।
जिन गीतों में हो राग भरा, बस उनको गाया जाता है।
जिन रिश्तों में हो प्रेम बहुत,उनको ही निभाया जाता है।।
जिन रिश्तों में हो प्रेम बहुत,उनको ही निभाया जाता है।।
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