सुभाष की याद में

दोस्तों,आज सुभाष जी की जयंती पे उन्हें याद करते हुए टूटे-फूटे लफ्जों में, अपने अनगढ़े अंदाज में कुछ लिखने का प्रयास का प्रयास किया है।वो हमारे लिए सदैव प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं ।उन्ही की बनाई  नींव पे आज हमारे नये भारत की ईमारत खड़ी है।वही भारत जिसकी नींव आजाद हिंद फौज के माध्यम से सुभाष ने 1943 में सिंगापुर में की थी........

प्रेरणा हैं हम सभी की,हम सभी की नींव है।
हैं मृतक औरों की खातिऱ, मुझमे में वो सजीव है।।
भारत माता के आँचल पे जब जब छीटे आये हैं।
उसने वीर सुभाष सरीखे,बेटे लाखों जाये हैं।।
इन बेटों ने माँ की खातिर,अपने प्राणों की बलि दी है।
माँ के आँचल की रक्षा को, बेटों ने शीश चढ़ाये हैं।।
थे सुभाष इन वीरों में से ,जिसने सब कुछ त्याग दिया था।
जंगल -मरुधर घूमे थे वो,सुख-वैभव परित्याग किया था।।
कर्त्तव्य मार्ग का पालन करके ,माँ के आँचल को सजाया था।
दूर देशों में भी जाकर सुभाष ने,भारत का मान बढ़ाया था।।
आज हमें वो प्रेरित करते,देश पे शीश चढ़ाने को।
माँ की रक्षा खातिर ,अपना सर्वस्व लुटाने को।
माँ की रक्षा खातिर ,अपना सर्वस्व लुटाने को।।

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