रक्षाबंधन के बहाने


ये सब कहना बहुत उचित नहीं जान पड़ता आज के दिन, जब की भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन हो।ना जाने तुम मेरी बातों को मेरी नकारात्मकता समझो या फिर तुम्हारे प्रति मेरी चिंता।
खैर,इस बार की राखी की मिठाई थोड़ी कड़वी ही सही।कहना है एक बात जो अभी तक कही नहीं-

मुझे किसी भी तरह का हर्ष नही होता,
तुम्हारे घर के पर्दे या फिर तुम्हारी ब्रांडेड कपड़ों से भरी आलमारी देखकर ।

मेरे कलेजे को तनिक भी ठंडक नहीं मिल पाती,
तुम्हारे बेडरूम में लगे ए.सी. की ठंडक महसूस करके।

मैं निस्पृह सा रहता हूँ
ये देखकर कि तुमने 56 इंच वाली एलईडी खरीद ली है।
या की तुमने अपनी शादी की सालगिरह पर सिंगापुर की सैर की है।
या फिर इस बात से भी कि तुम्हारे घर में बिछी कालीन थाईलैंड से मंगाई गई है।

मुझे इस बात से भी तनिक शुकुन नही मिलता कि,
तुम हर शुक्रवार अपने पति और बच्चे के साथ कार में बैठकर पीवीआर जाती हो,सीसीडी की कॉफी और मैकडोनाल्ड का बर्गर उड़ाती हो।

क्योंकि मैं जानता हूँ कि,
इन भौतिक जगत के लब्बोलुआबों और दिखावटीपन से कहीं बहुत आगे है तुम्हारी दृष्टि।
क्योंकि मैं यह भी  जानता हूँ कि,
तुम्हारे विचारों की त्रिज्या, तुम्हारे हकीकत की परिधि से बहुत बड़ी है।
और,तुम भी तब तक खुश नही हो जब तक कि तुम मानवता के लिए अपना वृहत्तर योगदान नहीं दे पा रही हो।

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